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न अच्छा पति बना पाया और न ही पिता और बेटा, मौत को गले लगा रहा हूं, मुझे माफ कर देना, मेरी किडनी और आंखे दान कर देना

युवक ने कमरे में पहले सुसाइट नोट लिखा फिर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। गुरूवार की सुबह जब परिजन कमरे में गए तो उनके होश उड़ गए।

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बिलासपुर. मैं अच्छा बेटा, अच्छा पति और पिता नहीं बन पाया। प्लीज मुझे माफ करना, मां जीजा-दीदी आप लोग मुझे माफ कर देना। मैं अपनी मौत का स्वयं जिम्मेदार हूं। मेरे शरीर के अंग किडनी, आंखें जरूरतमंदों को दीजिए। कुछ इस तरह की लाइनें लिखकर तारबाहर क्षेत्र के विनोबा नगर निवासी एक रेलवे कर्मचारी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर दी।
विनाबा नगर निवासी 34 वर्षीय आकाश मिश्रा पेशे से रेलवे में प्यून हैं। चार-पांच साल पहले उसकी शादी भी शहडोल में हो चुकी है। उसकी एक बेटी भी है। पत्नी अपने मायके शहडोल में रहती है और वह अपनी मां के साथ बिलासपुर में रहता था। कुछ दिन पहले उसकी पत्नी बिलासपुर आई थी, बुधवार को आकाश पत्नी को छोडऩे रेलवे स्टेशन गया और लौटकर आया तो सीधा कमरे में चला गया। युवक ने कमरे में पहले सुसाइट नोट लिखा फिर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। गुरूवार की सुबह जब परिजन कमरे में गए तो उनके होश उड़ गए। तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने पंचनामा कार्रवाई करते हुए शव का पोस्टमार्टम कराया है और जांच शुरू कर दी है।