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लापतागंज में जिंदा ही नहीं मुर्दो की पहचान भी है लापता.. जिले में 117 शव ऐसे जिन्हेंं अब भी है पहचान का इंतजार

- 127 अज्ञात शव ऐसे जिनकी नहीं हो पाई शिनाख्त, पहचान के अब भी चल रहा प्रयास - अज्ञात मर्ग होने पर गुमशुदा फाइलो से पहले शिनाख्त करने का प्रयास, इनके परिजन मिले ही नहीं

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In Lapataganj, the identity of the dead is also missing while alive ..

लापतागंज में जिंदा ही मुर्दो की पहचान भी है लापता.. जिले में 117 शव ऐसे जिन्हेंं अब भी है पहचान का इंतजार

बिलासपुर. लापतागंज में 1 हजार 216 जिंदा लोगो को खोजन में लगी पुलिस के पास 127 अज्ञात मर्ग ऐसे है जिनका काफी प्रयास के बाद भी पहचान नहीं हो पाया। इन 127 लापता शव का हालाकि पुलिस ने कफन दफन तो करवा दिया, पुलिस अधिकारियों की माने तो इन शवो की पहचान के लिए पुलिस ने इश्तहार व अन्य प्रयास किया लेकिन गुमइंसानों की सूची भी खंगाल चुकी है बावजूद इसके इनकी शिनाख्त नहीं हो सकी है। जिले में जिंदा व्यक्ति ही नहीं बल्कि मृतको की शिनाख्त भी बड़ी चुनौती बनी हुई है।

जिले में 127 मर्ग जांच ऐसे है पुलिस ने जिनकी शिनाख्ती का प्रयास किया लेकिन इनकी शिनाख्त न होने की वजह से यह मर्ग पेंडिंग ही रह गए। इनमें कुछ हत्या के मामले भी शामिल है। पुलिस रिकाड की बात की जाए तो गुमशुदगी के साथ ही अज्ञात शव मिलने के मामले में काफी बढ़ोत्तरी दर्ज हुई हैं।

वर्ष 2020 में अज्ञात मर्ग के 17 मामले जिले में दर्ज हुए थे। वर्ष 2021 में यह आंकड़ा 22 और वर्ष 2022 में यह आंकड़ा बढ़ कर 41 हो गई है। वर्ष 2023 में अब तक 47 अज्ञात मर्ग पुलिस दर्ज कर चुकी है। जिले के विभिन्न थानो में दर्ज अज्ञात शव किनके है, इनकी मौत के बाद भी इनकी खोजखबर लेने वाला कोई भी पुलिस के पास नहीं पहुंचा, अधिकांश लोग किसी हादसे या अपराध का शिकार हो गए पुलिस यह पता लगाने गुम शुदगी की फाइल खंगाली वही अन्य जिलो व राज्यो में इस्तेहार के माध्यम से खोजने का प्रयास किया गया, बावजूद इसके इन गुम इंसानों की तलाश नहीं कर पाई।

अज्ञात की पहचान में बड़ी बाधा

पुलिस को अधिकांश लाश ऐसी अवस्था में मिलती है जो दो से तीन या फिर कई दिन पुरानी होने के कारण चेहरे का नक्सा बिगड़ा हुआ होता है। कुछ शव के तो चेहरे या शरीर पर ऐसा कुछ मिलता ही नहीं जिससे पुलिस इनकी शिनाख्त करने का प्रयास करे। बावजूद इसके पुलिस काफी हद तक नष्ट हो चुके शवो की शिनाख्त के लिए, सबसे पहले दर्ज गुमशुदगी को खंगालने का प्रयास करती है। गुम इंसानों की सूची से पहचान न होने पर इश्तहार के माध्यम से इनकी शिनाख्त का प्रयास किया जाता है।

डीएनए जांच भी हो चुकी है कुछ मामलो में
अज्ञात शव मिलने के बाद अगर पुलिस को ऐसा लगता है कि संबंधित शव इसका हो सकता है और परिजन भी टेस्ट की मांग करता है तो पुलिस ने कुछ मामलो में कोर्ट से अनुमित लेकर डीएनए टेस्ट भी करवा मृतको की शिनाख्त कर चुकी है।

अज्ञात शव की पहचान के लिए पहले और फिर पडोसी जिलो में मृतक की फोटो या इश्तहार के माध्यम से प्रसारित की जाती है। पुलिस अपने स्तर पर मृतको की पहचान के लिए प्रयास करती है, कई बार प्रयास के चलते अज्ञात की पहचान हो जाती है लेकिन कई बार पहचान नहीं होती है।

राजेन्द्र कुमार जायसवाल, एएसपी शहर