
पिता और दादी के हत्यारे को हाईकोर्ट ने किया बरी ( File Photo - patrika )
CG News: हाईकोर्ट ने पीएससी 2021 के मामले में बड़ा फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि जिन चयनित अभ्यर्थियों के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट प्रस्तुत नहीं की, उन्हें 60 दिन में नियुक्ति दी जाए। (CG News) उक्त सभी का चयन डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी के पद पर हुआ है। हाईकोर्ट ने पूरी सुनवाई के बाद 2 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसमें सोमवार को अंतिम फैसला सुनाया गया है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि सभी उम्मीदवारों की ज्वाइनिंग सीबीआई की जांच और हाईकोर्ट के फैसले के अधीन रहेगी।
राज्य लोकसेवा आयोग (पीएससी) में कथित गड़बड़ी के आरोपों के बाद राज्य शासन ने मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा है। सीबीआई ने 4 अभ्यर्थियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। इन्हीं 44 लोगों ने 12 वकीलों के माध्यम से ज्वाइनिंग के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
सीबीआई ने अब तक मामले में सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, उनके भतीजे नितेश सोनवानी और साहिल सोनवानी, तत्कालीन उप नियंत्रक परीक्षा (सीजीपीएससी) ललित गणवीर, श्री बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड के निदेशक श्रवण कुमार गोयल, उनके बेटे शशांक गोयल और बहू भूमिका कटियार शामिल हैं। शशांक गोयल, उनकी पत्नी भूमिका कटियार और नितेश को तब डिप्टी कलेक्टर के पद पर चुना गया था। जबकि साहिल का चयन पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) पद पर हुआ था।
शासन की ओर से बताया गया कि सीबीआई ने 16 जनवरी 2025 को रायपुर की एक विशेष अदालत के समक्ष मामले में चार्जशीट दायर की है। इसमें इन सभी सात लोगों को आरोपी बनाया गया है। इसमें कहा गया है कि बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए अन्य उम्मीदवारों, सीजीपीएससी के अधिकारियों और अन्य के संबंध में आगे जांच की जा रही है।
आरोप पत्र में कहा गया है कि टामन सिंह सोनवानी ने कथित तौर पर अपने पद का दुरुपयोग किया और परीक्षा से पहले अपने भतीजे नितेश और साहिल को प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए। तत्कालीन उप परीक्षा नियंत्रक ललित गणवीर और सोनवानी ने श्री बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड के पूर्णकालिक निदेशक श्रवण कुमार गोयल के साथ आपराधिक साजिश रची।
ज्ञात हो कि पीएससी में हुई नियुक्ति को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई बिलासपुर हाईकोर्ट में चल रही है। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि जब तक मामले की अगली सुनवाई नही हो जाती, तब तक जिन लोगों पर आरोप लगे हैं, उनकी नियुक्तियां अभी नहीं होंगी। जिनकी नियुक्तियां हो चुकी हैं, वह न्यायालय के आदेश के अधीन रहेगी। इसके बाद सरकार ने जांच के लिए सीबीआई को मामला सौंपा था। इधर जिन लोगों की नियुक्ति पर रोक लगी थी उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें कहा गया कि पूरी जांच में लंबा समय लग सकता है। तब तक ज्वाइनिंग से वंचित करना अन्याय है।
Updated on:
30 Jul 2025 01:07 pm
Published on:
30 Jul 2025 01:04 pm
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