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बिगड़ी हैं मशीनें, नहीं पहुंचे कार्डियोलाजिस्ट, सिम्स के ऐसे हालात देख मरीजों का बढ़ जाएगा बीपी

CG News: हाईकोर्ट के कड़े निर्देश के बाद आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स में अव्यवस्था दुरुस्त करने की कवायद तो शुरू हुई, पर 15 दिन की मियाद खत्म होने के बाद साफ-सफाई व छोटी-मोटी कुछ अन्य अव्यवस्थाएं ही दुरुस्त हो र्पाइं।

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बिगड़ी हैं मशीनें, नहीं पहुंचे कार्डियोलाजिस्ट, सिम्स के ऐसे हालात देख मरीजों का बढ़ जाएगा बीपी

बिगड़ी हैं मशीनें, नहीं पहुंचे कार्डियोलाजिस्ट, सिम्स के ऐसे हालात देख मरीजों का बढ़ जाएगा बीपी

बिलासपुर। CG News: हाईकोर्ट के कड़े निर्देश के बाद आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स में अव्यवस्था दुरुस्त करने की कवायद तो शुरू हुई, पर 15 दिन की मियाद खत्म होने के बाद साफ-सफाई व छोटी-मोटी कुछ अन्य अव्यवस्थाएं ही दुरुस्त हो र्पाइं। बिगड़ी मशीनें अभी तक नहीं बनीं, कार्डियोलाजिस्ट नहीं पहुंचे, सोनोग्राफी मशीन वही पुरानी है, स्टाफ की कमी ज्यों की त्यों है। इस तरह बड़ी खामियां जस की तस बनी हुई हैं।

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आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स की बदहाली सुधारने हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने वरिष्ठ आईएएस आर. प्रसन्ना को ओएसडी नियुक्त किया। 3 नवंबर से उन्होंने अपना काम निरीक्षण के साथ शुरू किया। सुधार के प्रथम चरण में साफ-सफाई दुरुस्त कराई।

इसी क्रम में टूटी-फूटी खिड़कियों, दरवाजों को बनवाने निर्देश दिए। इस पर भी काम शुरू हुआ, जो अभी तक चल रहा है। दूसरी ओर सालों से उधड़ी हॉस्पिटल की दीवारों की पुताई भी कराई गई। जगह-जगह फैले कबाड़ भी हटाए गए। हैल्प डेस्क में कर्मचारी बैठने लगे हैं। हालांकि से कार्य नियमित रूप से होते रहेंगे, इसे लेकर मरीजों में संशय है।

इधर ओपीडी में डॉक्टरों की लेटलतीफी, वाटर फिल्टर की खराबी नहीं सुधारी गई है। इसके अलावा न तो बिगड़ी जांच मशीनें सुधर पाई हैं और न ही सोनोग्राफी मशीन ही आ पाई है। पुरानी मशीन से ही जैसे-तैसे सोनाग्राफी हो रही है। एक्सरे, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन समेत अन्य जांच की पेंडेंसी भी कम नहीं हो पा रही है।

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मरीजों की अनदेखी अब भी

सिम्स में मरीजों की अनदेखी अभी भी ज्यों की त्यों है। मरीजों के मुताबिक एमआरडी में पंजीयन को लेकर बेतरतीब भीड़ व ओपीडी में डॉक्टरों के समय पर न पहुंचने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा पेयजल व प्रसाधन की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। रात में वार्डों में डॉक्टरों के न पहुंचने व नर्सिंग स्टाफ की अनदेखी अब भी कायम है।

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इन प्राथमिक खामियाें का करना था दुरुस्त...

मेडिकल वेस्ट डिस्पोज की व्यवस्था

हेल्प डेस्क खाली रहता है

वार्ड में जाने कोई साइन बोर्ड नहीं

हॉस्पिटल पहुंचनेे और वार्ड में जाने का रास्ता बहुत ही संकरा

फायर सेफ्टी की व्यवस्था नहीं, जबकि वर्ष 2019 में पांच बच्चों की दम घुटने से मौत हो गई थी

करीब 40 लाख रुपए खर्च करते हुए 7 वेंटीलेटर खरीदे गए थे लेकिन पिछले 2 साल से इनका उपयोग नहीं हो सका है

पुराने लेक्चर हॅाल को डंप वार्ड बना दिया गया, यहां अनुपयोगी मशीन और फर्नीचर रख दिए गए हैं

इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर में ड्रेनेज और सीपेज की समस्या

स्टरलाइजेशन किट पुराने, वहां सफाई भी नहीं

प्रोफेशनल स्वीपिंग मशीन की हालत बेहद खराब

पुरुष मरीज महिला वार्ड में और महिला मरीज पुरुष वार्ड में भर्ती किए जा रहे

कार्डियोलाजिस्ट नहीं, सोनोग्राफी के लिए लंबी वेटिंग

स्टाफ की कमी

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सिम्स में सुधार कार्य एक सतत प्रक्रिया
सिम्स में सुधार कार्य सतत प्रक्रिया है, जो चलती रहेगी। फौरी तौर पर जितना हो सका सुधार कार्य किया गया। नई जांच मशीनें लाने, बिगड़ी मशीनों को सुधरवाने, फैकल्टी की कमी पूरी करने समेत अन्य कमियों को पूरा करने प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजा गया है।

डॉ. सुजीत नायक, एमएस सिम्स