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उधर होगी मामले की सुनवाई और इधर गूंजेगी बच्चों की किलकारी

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने इसकी शुरुआत कर नई पहल की है।

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बिलासपुर . परिवार में माता-पिता के बीच किसी प्रकार विवाद की स्थिति निर्मित होने पर मामला न्यायालय पहुंचता है। कोर्ट-कचहरी के चक्कर में सबसे ज्यादा प्रभावित मासूम बच्चे होते हैं। प्रकरण की सुनवाई के दौरान उन्हें भी घंटों कचहरी में बैठना पड़ता है। उनके बैठने, खेलने या फीडिंग तक की व्यवस्था नहीं होती। बच्चों को न्यायालयीन वातावरण से दूर, बिल्कुल घर जैसा माहौल देने के लिए कुटुम्ब न्यायालय में शनिवार को शिशु देखभाल केन्द्र (किलकारी) की स्थापना की गई। फिलहाल इसे छोटे पैमाने पर शुरू किया गया है बाद में इसका विस्तार किया जाएगा। ये बातें जिला न्यायाधीश विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एनडी तिगाला ने कही। उन्होंने शनिवार को कुटुम्ब न्यायालय भवन में बच्चों के देखभाल कक्ष किलकारी का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव विवेक कुमार तिवारी ने कहा, पिछले दिनों कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश द्वारा न्यायालयीन परिसर में बच्चों को होने वाली असुविधाओं के संबंध में कक्ष की स्थापना का सुझाव दिया गया। इस पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने किलकारी कक्ष की स्थापना का आदेश जारी किया।

उद्घाटन के अवसर पर स्थायी लोक अदालत के सभापति नारायण सिंह, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के उपसचिव अभिषेक शर्मा, अवर सचिव श्वेता श्रीवास्तव, जिला कोर्ट के न्यायाधीशगण, परिवार न्यायालय के न्यायाधीश राठीया, परिवार न्यायालय के काउंसलर समेत कर्मचारी उपस्थित थे।
प्रदेश में पहला : कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के विनोद कुजूर ने कहा, यायालय में प्रकरणों की सुनवाई के वक्त जब माता-पिता न्यायालय कक्ष में रहते हैं, उस समय से लेकर प्रकरण की सुनवाई समाप्त होने तक कई बार मैंने बच्चों के माता- पिता को परेशान होते देखा है। इसे देखकर मुझे यह विचार आया कि क्यों न इन बच्चों के लिए कुछ व्यवस्था की जाए, जिससे उन्हें घर जैसा वातावरण मिल सके। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने इसकी शुरुआत कर नई पहल की है। प्रदेश के किसी भी परिवार न्यायालय में इस ऐसी व्यवस्था अब तक नहीं थी। ये एक शुरुआत है, इसे अन्य जगहों पर भी शुरू करने पर विचार किया जाएगा।