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इस शहर के बच्चे चले अपराध की राह, क्राइम के आए आंकड़े तो चौंक गई पुलिस, इतनी कम उम्र में कैसे कर रहे बड़े-बड़े क्राइम

जिले में नाबालिगों(Minor offender) से संबंधित अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष 2019 के 5 महीनों में 53 प्रकरण दर्ज हो चुके हैं(Minor offender Growing )।

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Minor offender Growing in the Bilaspur city in Chhattisgarh

इस शहर के बच्चे चले अपराध की राह, क्राइम के आए आंकड़े तो चौंक गई पुलिस, इतनी कम उम्र में कैसे कर रहे बड़े-बड़े क्राइम

बिलासपुर. छत्तीसगढ़(Chhattisgarh के इस शहर के बच्चे अपराध(crime) की राह चल पढ़े हैं, जब पुलिस ने पिछले साल के क्राइम के आंकड़े(Crime Statistics) देखे तो पुलिस चौंक गई(Police was shocked), लोग सोच में पद गए है की इतनी कम उम्र में बच्चे कैसे बड़े-बड़े क्राइम कर रहे हैं जिले में नाबालिगों से संबंधित अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष 2019 के 5 महीनों में 53 प्रकरण दर्ज हो चुके हैं। किशोर न्याय अधिनियमों के तहत बच्चों को अपराध से दूर रखने जारी गाइड लाइन के तहत अपराध रोकने में पुलिस नाकाम रही है। नाबालिग बच्चों से संबंधित अपराधों के लिए बनाए गए किशोर न्याया अधिनियम में बच्चों को अपराध से दूर रखने के लिए गाइड लाइन जारी की गई है।

आपराधिक गतिविधियों से बच्चें को दूर रखने और अपराध से बचाने के अलग-अलग दिशा-निर्देश गाइड लाइन में शामिल किए गए हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भी किशार न्याय अधिनियमों का पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं,्र जिसमें आपराधिक प्रकरणों से संबंधित बच्चों से जानकारी लेने के लिए सिविल डे्रस में आम नागरिक की तहर व्यवहार करने कहा गया है, ताकि बच्चों को ऐसा न लगे की जानकारी लेने वाला व्यक्ति पुलिस कर्मी है और नाबालिग एक अपराधी। नाबालिग अवस्था में किए गए अपराध पर उसे जेल भेजा जा सकता है। ऐसी मनोवृत्ति से बच्चों को दूर रखने के निर्देश दिए गए हैं।

गुड-बैड टच की जानकारी के लिए अभियान चलाने के के निर्देश
गाइड लाइन के अनुसार स्कूली बच्चों ओर नाबालिगों को गुड-टच बैड टच की जानकारी से अवगत कराने के लिए पुलिस को अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस अधिकारियों को बच्चों के बीच जाकर उन्हें अपनों के स्पर्श को गुड-टच और अपराधियों द्वारा स्पर्श किए जाने वाले बैड-टच की जानकारी देना है, जिससे बच्चों को अपनों और अपराधियों की पहचान हो सके।
बच्चों से दोस्तों की तरह व्यवहार
देश में बच्चों को उनके परिजन डराने के लिए पुलिस का नाम लेते हैं। ऐसे में बचपन से बच्चों के मन में भय और डर समा जाता है। गाइडलाइन में बचपन से बच्चों के बीच जाकर उन्हें यह बताना है कि पुलिस से डरने की जरूरत नहीं है। गलत काम और कानून तोडऩे पर पुलिस अपराधियों को पकड़ती है, बच्चों को पुलिस से डरने की जरूरत नहीं है। कहीं भी गलत या कानून तोडऩे की बात सामने आती है तो बच्चों को सीधे पुलिस से संपर्क कर जानकारी देनी चाहिए।

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साल-दर-साल बढ़ रहे मामले
क्र - वर्ष - दर्ज अपराध
1. - 2012 - 5
2.- 2013 - 43
3.- 2014- 56
4. - 2015- 82
5. - 2016- 117
6- 2017 - 141
7.. 2018 - 154
8. - 2019 - 53

अपराध करने से रोकने और आपराधिक मामलों से बच्चों को बचाने के लिए एनजीओ बचपन बचाओ आंदोलन व महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ मिलकर पुलिस लगातार बच्चों को रेस्क्यू कर रही है। बच्चों को अपराध से रोकने के लिए एनजीओ व दूसरे विभाग भी प्रयासरत हैं।
संजय धु्रव, एएसपी व नोडल अधिकारी

बिलासपुर समाचार


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