
नवरात्र को 9 दिन बीते, छठ घाट पर बिखरी भक्ति की निशानियां(photo-patrika)
CG News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में नवरात्र पर नौ दिन तक शक्ति की भक्ति के बाद 3 अक्टूबर को छठ घाट पर बड़ी संख्या में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। लेकिन नौ दिन बाद भी जिस मिट्टी के कलश में जवारा रखा गया, जिन दीयों और पूजन सामग्री से मां दुर्गा की आराधना की गई, वही सामग्री विसर्जन के बाद नदी किनारों पर बिखरी पड़ी है।
विसर्जन के अगले ही दिन नदी किनारों पर मिट्टी के कलश, जवारा, पूजन सामग्री, कपड़े, प्लास्टिक और टूटे दीये बिखरे दिखाई दिए। यह दृश्य इस बात का प्रमाण है कि श्रद्धा और पर्यावरण संरक्षण के बीच अब भी एक बड़ा फासला है। धार्मिक आयोजनों में भक्ति की भावना जितनी गहरी होती है, उतनी ही जिम्मेदारी से हमें प्रकृति के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है।
नदी-तालाबों में पूजा सामग्री, प्लास्टिक और रंगों का बहाव न केवल जलजीवों को प्रभावित करता है, बल्कि जल की गुणवत्ता को भी प्रदूषित करता है। मिट्टी की प्रतिमाओं में मिलाए जाने वाले केमिकल्स और पेंट्स से जलस्रोतों का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ता है। यही कारण है कि आज कई शहरों में प्रशासन कृत्रिम विसर्जन कुंडों को प्रोत्साहित कर रहा है। यह न केवल पर्यावरण के लिए सुरक्षित है बल्कि सफाई व्यवस्था के लिए भी सुविधाजनक साबित हो रहा है।
भक्ति और स्वच्छता का यह मेल समाज के लिए एक नई दिशा तय कर सकता है। यदि हर श्रद्धालु यह संकल्प ले कि पूजा के बाद सामग्री को नदी में न डालकर घर पर या निर्धारित स्थान पर सुरक्षित निस्तारित करेगा, तो यह एक बड़ी शुरुआत होगी। मिट्टी के दीये और कलश जैविक रूप से नष्ट होने वाले पदार्थों से तैयार किए जाएं, तो यह पर्यावरण के प्रति हमारी संवेदनशीलता को दर्शाएगा।
Published on:
13 Oct 2025 12:34 pm
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