
Patrika Raksha Kavach Abhiyan: आजकल लोग सड़क पर चलते हुए फोन चलाते हैं। बाइक पर जाते हुए फोन से बात करते हैं। बाजार में सामान खरीदते समय जेब से मोबाइल पार हो जाता है। चोर लोगों के हाथों से फोन छीन कर भाग जा रहे हैं। जब किसी का फोन गुम या चोरी हो जाता है। तो वह हड़बड़ा जाता है।
कई बार जानकारी के अभाव में हम मेहनत की जमा पूंजी गंवा देते हैं। आज की आपबीती में नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी के साथ यही हुआ। मोबाइल गुम होने पर उन्होंने सिम ब्लॉक कराया, थाने में शिकायत भी की लेकिन यूपीआई ब्लॉक नहीं कराया। साइबर ठगों ने यूपीआई से ट्रांजेक्शन कर खाते में कुल जमा 4 लाख रुपए निकाल लिए।
दिवाली के दिन मैं जरूरी सामान लेने बाजार गया था। बाजार में त्यौहारी भीड़ थी। सामान लेकर मैं घर लौटा और शर्ट के सामने के जेब पर नजर पड़ी तो मोबाइल गायब था। मैं समझ गया कि मोबाइल रास्ते में कहीं गिर गया होगा। मैंने ये बात बेटे को बताई तो उन्होंने सिम बंद करवा दिया। करीब महीने भर बाद हमें कुछ रुपयों की जरूरत पड़ी तो नए मोबाइल में पुराने नंबर की नई सिम को एक्टीवेट कराया। मोबाइल खुलने पर मैंने यूपीआई से खाता चेक किया तो खाली था।
जबकि खाते में 4 लाख रुपए थे। हम समझ गए कि मोबाइल गुम नहीं, चोरी हुआ था। डिटेल निकाला तो पता चला कि ठगों ने यूपीआई से दिवाली और अगले चार दिन में चार से पांच बार ऑनलाइन ट्रांजेक्शन किया है। इसमें एक ट्रांजेक्शन शहर के ज्वैलरी दुकान का था। वहां का सीसीटीवी चेक किया तो दो नकाबपोश युवकों ने सोने की चेन लेकर यह रकम दी थी। इसी तरह शहर की एक होटल, नागपुर, कांकेर और रांची (झारखंड) में ट्रांजेक्शन बताया। हमने सभी सबूत जुटाए और साइबर थाना जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई।
पुलिस ने भी सक्रियता दिखाई और साइबर ठग को रांची से पकड़ने के बाद हमें बुलाया। हम थाने पहुंचे तो वहां आरोपी का वकील पहले से उनकी जमानत के लिए तैयार था। पुलिस ने इन ठगों से चोरी के 70 मोबाइल पकड़े थे। वह हमसे समझौता कराने की गुजारिश करने लगा, हम नहीं माने। कोर्ट में केस चला। अंत में चार लाख में से ₹ दो लाख ही मिल पाए।
रजनेश सिंह, एसपी, बिलासपुर। साइबर क्राइम आज समाज की बड़ी समस्या हो चुकी है। चोरी और नकबजनी से भी 100 गुना तेजी से साइबर क्राइम बढ़ रहा है। जागरुकता के अभाव में लोगों की मेहनत की जमा पूंजी एक मिनट में खाली हो जाती है। यदि साइबर ठगी के शिकार हो जाते हैं तो नजदीकी थाने में जाकर रिपोर्ट करें। हेल्प लाइन 1930 पर भी कॉल कर सकते हैं।
अनजान नंबर से आए वीडियो कॉल रिसीव न करें। यदि ऐसे कॉल पर बात होती भी है तो उसके दिए किसी लिंक को डाउनलोड न करें और न ओटीपी सेंड करें। पुलिस अधिकारी बनकर कोई कोई डिजिटल समन, वारंट या डिजिटल अरेस्ट जैसी बातें कह रहा हो तो समझ जाए कि वह आपसे ठगी करने वाला है।
Updated on:
09 Dec 2024 11:22 am
Published on:
09 Dec 2024 11:20 am
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