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बलात्कार पीड़िता नाबालिग ने मांगी गर्भपात की अनुमति, सरकार बोली आजीवन उठाएंगे पीड़िता और बच्चे की जिम्मेदारी

Rape victim: मेडिकल टीम ने कहा निर्धारित गर्भपात के लिए 20 सप्ताह की समय सीमा से यह काफी अधिक होने के कारण गर्भ को जारी रखने एवं गर्भपात कराये जाने, दोनों ही अवस्था में जान के जोखिम की संभावना रहेगी ।

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बिलासपुर- 11 वर्षीय एक बलात्कार पीडि़त बच्ची व उसके अभिभावक ने कोर्ट में गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर की है। इस मामले में बुधवार को सुनवाई हुई। शासन की ओर से अपना पक्ष रखा गया। इस मामले में फैसला आना शेष है। उम्मीद जताई जा रही है कि गुरुवार को फैसला आ जाएगा। शासन की ओर से महाविधवक्ता ने सतीशचंद्र वर्मा ने अपना पक्ष रखा। मामले की सुनवाई जस्टिस पीएस कोशी की अदालत में हुई। मिली जानकारी के अनुसार मामला बालोद जिले का है जहां एक ११ वर्षीय दुष्कर्म पीडि़ता व उसके अभिभावक ने हाईकोर्ट में गर्भपात की अनुमति के लिए १६ मार्च को याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि पीडिता को 27 हफ्ते की गर्भवती है। उपरोक्त संदर्भ में जिले के ही एक थाने में मामला दर्ज है। सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि पीडि़ता को 27 हफ्ते का गर्भ है । ऐसे में कोर्ट ने निर्देश दिया कि अधिष्ठाता मेडिकल कॉलेज रायपुर के निर्देशन में दो महिला विशेषज्ञ चिकित्सक के द्वारा जांच करवाकर 17 मार्च को रिपोर्ट पेश किया जाए। ताकि पुन: एक दिन पश्चात उपरोक्त मामले की सुनवाई की जा सके । इस रिपोर्ट में ये शामिल करेंगे कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी करवाने से नाबालिग पीडि़ता की जान को कोई खतरा तो नहीं रहेगा । मेडिकल टीम ने कहाइस मामले में मेडिकल कॉलेज रायपुर की विशेषज्ञ डा. नलिनी मिश्रा एवं डॉ रुचि किशोर की टीम ने जांच के बाद यह अभिमत दिया कि एमटीपी एक्ट 1971 के अंतर्गत निर्धारित गर्भपात के लिए 20 सप्ताह की समय सीमा से यह काफी अधिक होने के कारण गर्भ को जारी रखने एवं गर्भपात कराये जाने, दोनों ही अवस्था में जान के जोखिम की संभावना रहेगी । फिर भी कोर्ट के निर्देश एवं बच्ची के अभिभावक के सहमति से गर्भपात करवाया जा सकता है।शासन ने रखा पक्षइस मामले की सुनवाई १८ मार्च को भी हुई इस दौरान मेडिकल कॉलेज रायपुर की विशेषज्ञ डा नलिनी मिश्रा एवं डॉ रुचि किशोर की टीम की रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की गई। शासन की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने इस प्रकरण में शासन का पक्ष रखते हुए कहा कि राज्य शासन इस प्रकरण को असाधारण प्रकरण के तौर पर लेते हुए पीडि़ता मां एवं उसके संतान के गहन चिकित्सा, समस्त देखरेख एवं व्यय की जिम्मेदारी शासन की रहेगी एवं आजीवन उन दोनों की जिम्मेदारी का वहन राज्य शासन द्वारा किया जाएगा । उपरोक्त संदर्भ में महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा की स्वास्थ्य मंत्री छत्तीसगढ़ शासन से भी चर्चा हो चुकी है ।


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