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सामाजिक प्रगति सूचकांक: प्रदेश 28 वें पायदान पर वहीं बिलासपुर की स्थिति उम्मीद के अनुरूप

सामाजिक प्रगति सूचकांक: प्रदेश 28 वें पायदान पर वहीं बिलासपुर की स्थिति उम्मीद के अनुरूप.. सूचना और संचार तक पहुंच व उन्नत शिक्षा की पहुंच में बेहतर प्रदर्शनमहिलाओं के विरुद्ध अपराध और हिंसक अपराधों में स्थिति चिंताजनक

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बिलासपुर - सामाजिक प्रगति सूचकांक में एक ओर जहां प्रदेश यानि छत्तीसढ़ 28 वें नंबर पर है इसे लोअर मिडिल प्रोग्रेस केटेगरी में रखा गया है। वहीं प्रदेश में बिलासपुर की स्थिति उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन की है, मतलब न बहुत ज्यादा बेहतर और न बहुत ज्यादा खराब है। अब यदि इस रिपोर्ट को यदि थोड़ा समझ लें जो चीजें और भी आसान हो जाएंगी।

दरअसल सामाजिक प्रगति सूचकांक यानि सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स को देश के इकनोमिक एडवाइजरी काउन्सिल टू पीएम (प्रधानमंत्री) की ओर से जारी किया जाता है। दिसंबर 2022 में जारी इस रिपोर्ट में जीरो से 100 के स्केल या स्कोर में छत्तीसगढ़ 51.36 अंकों के साथ देश में 28वें नंबर पर है। अब यदि इस नंबर या रैंकिंग को समझें तो राज्यों की रैंकिंग को 6 टियर में बांटा गया है, जो वैरी हाई से लोअर सोशल प्रोग्रेस के बीच है। रैंकिंग के आधार पर छत्तीसगढ़ को टियर 4 कैटेगरी के लोअर मिडिल सोशल प्रोग्रेस ग्रुप में रखा गया है।

बिलासपुर की स्थिति
वहीं बिलासपुर जिले ने 56.6 अंक की रेटिंग हासिल की है। बिलासपुर जिले कुछ क्षेत्रों में बेहतर परफार्मेंस दिया है जैसे सूचना और संचार तक पहुंच इसमें जिले को 66 स्कोर मिला है, इसके अलावा उन्नत शिक्षा तक पहुंच में 65 अंक मिले हैं। वहीं स्वच्छ ईंधन का उपयोग में 42.2 और बच्चों के विरुद्ध अपराध में गिरावट लाते हुए 5.1 का स्कोर हासिल किया है।

यहां स्थिति निराशाजनक
बिलासपुर ने अपराध और आपराधिक मामलो में निराशाजनक प्रदर्शन किया है। इसमें सबसे चिंताजनक स्थिति महिलाओ के खिलाफ अपराध है जिसमें बिलासपुर का स्कोर 380 प्लस है वही हिंसक अपराध में जिले का स्कोर 379 से अधिक है।

इन आंकड़ों पर भी गौर करें
इसके अलावा व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद में केवल 51.2 स्कोर हासिल कर पाई है। मानव तस्करी में बिलासपुर जिले को 3 अंक मिले हैं जो कि ठीकठाक स्थिति है। वहीं सेकेंडरी स्कूल ड्रॉपआउट रेट में 20.9 का स्कोर है जो दर्शाता है की बड़ी संख्या में छात्र स्कूल छोड़ रहे है। इस रिपोर्ट ने जिले में पानी की गुणवत्ता में मिले रसायनयुक्त दूषितो को भी लेकर चिंता जताई है इसमें बिलासपुर को 43 अंक मिले है।

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जानिए... किस पैरामीटर्स पर दी जाती है रैंकिंग
सामाजिक प्रगति सूचकांक को तीन मुख्य आयामों को केंद्र में रखकर तैयार किया गया है।
1. नागरिकों को बुनियादी मानव आवश्यकताएं- इसमें पोषण और बुनियादी चिकित्सा देखभाल, जल और स्वच्छता, व्यक्तिगत सुरक्षा और आश्रय शामिल है।
2. कल्याण की नींव- इसमें बुनियादी ज्ञान तक पहुंच, सूचना और संचार तक पहुंच, स्वास्थ्य और कल्याण, पर्यावरणीय गुणवत्ता शामिल है।
3. अवसर के तहत 12 मानकों के आधार पर राज्यों का आंकलन किया गया है, जिसमें व्यक्तिगत अधिकार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद, समावेशिता और उन्नत शिक्षा तक पहुंच शामिल है।

इसलिए खास है ईएसी-पीएम की रिपोर्ट
एक्सपर्ट ने बताया कि यह सूचांक राज्य की वस्तुस्थिति को दर्शाता है। जब हम कहते हैं सोशल प्रोग्रेस तब इसमें हमेशा सुधर का स्कोप होता है। हम एक समाज के तौर पर हमेशा ग्रो करते रहते हैं। यह सूचांक भी हमें अपने राज्य और जिले के खासियत के साथ-साथ उन पहलु से रूबरू करता है, जिनपर विशेष जोर देने की जरुरत है। फिर वह स्वस्थ शिक्षा या आधारभूत संरचना कुछ भी हो सकता है।


एक्सपट्र्स ने बताया
एक्सपट्र्स का कहना है कि रेटिंग जिन पैरामीटर्स पर की गई है। उनमे से कुछ में बिलासपुर शहर और छत्तीसगढ़ राज्य दोनों में ही काफी बेहतर काम हो रहे है जैसे सनेटाइजेशन और सूचना और संचार तक पहुंच आदि। लेकिन कुछ पैरामीटर्स जैसे ह्यूमन ट्रैफिकिंग, बेहतर हेल्थ फैसिलिटी, बढ़ते स्कूल ड्रॉपआउट रेट, प्रसवपूर्व देखभाल और कुपोषण जैसे क्षेत्र में विशेष सुधार की जरूरत है।

सीधी बात - डॉ. मनीषा दुबे, एचओडी इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट, सीयू

सवाल - इस तरह के सूचांक क्या महत्वपूर्ण होते है ?
जवाब - ये हमारे समाज, शहर, राज्य को बेहतर बनाता है।

सवाल - छग ने इस रैंकिंग में 28वां स्थान मिला, क्या यह ठीक है ?
जवाब - छग में काफी चीजे ऐसी है, जो बोहोत बेहतर है। पर बच्चों और महिलाओं में पोषण, अच्छा अस्पताल, बेहतर शिक्षा व पर काम करने की जरुरत है।
सवाल - शिक्षा व्यवस्था को सुधरने किस तरह से अप्रोच किया जाना चाहिए ?
जवाब - अभी काफी नए स्कूल खोले जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में एक स्कूल पर एक से अधिक गांव के बच्चों की डिपेंडेन्सी कम करनी होगी। ताकि एजुकेशन की गुणवत्ता और निखरे।