23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

निगम में शामिल नए क्षेत्रों के श्मशन घाट ऐसे जहां अंतिम सस्कार के लिए कोसों दूर से लानी पड़ रही लकड़ियां

बिलासपुर. नगर निगम सीमा का विस्तार कर शामिल किए गए नए क्षेत्रों के श्मशान घाटों की स्थिति चिंताजनक हो गई है। यहां अंतिम संस्कार के लिए लोगों को कई किलो मीटर दूर से लकड़ियां लानी पड़ रही है। कई ऐसे श्मशान घाट हैं जहां पीने के लिए पानी तक उपलब्ध नहीं है।

2 min read
Google source verification
निगम में शामिल नए क्षेत्रों के श्मशन घाट ऐसे जहां अंतिम सस्कार के लिए किलो मीटर दूर से लानी पड़ रही लकड़ियां

निगम में शामिल नए क्षेत्रों के श्मशन घाट ऐसे जहां अंतिम सस्कार के लिए किलो मीटर दूर से लानी पड़ रही लकड़ियां

ग्राम पंचायत, नगर पंचायत और नगर पालिका परिषद के समय इन श्मशान घाटों को व्यवस्थित करने पिछले 4 वर्षों में नगर निगम ने पहले नहीं की है।
वर्ष 2019 में राज्य शासन ने नगर निगम सीमा क्षेत्र का विस्तार करते हुए शहर से लगे तिफरा नगर पंचायत, सकरी व सिरगिट्टी नगर पंचायत समेत 15 ग्राम पंचायतों को शामिल करते हुए 70 वार्ड बनाए थे। ग्राम पंचायत, नगर पंचायत और नगर पालिका परिषदों में कुल 21 श्मशान घाट थे।श्मशान घाटों में ग्राम पंचायत के समय से ही लकड़ी टाल की व्यवस्था नहीं है और लोगों को कई किलो मीटर दूर से अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां लानी पड़ रही थी। नगर निगम में शामिल होने के बाद नए क्षेत्रों के लोगों को लगा था कि अब श्मशान घाट में लकड़ी की समस्या खत्म हो जाएगी और यहां निगम की ओर से लकड़ी टाल की व्यवस्था हो जाएगी, लेकिन 4 वर्ष बीतने के बाद भी श्मशान घाटों में स्थिति जस की तस है।


जर्जर हो चुके चबूतरे

नए क्षेत्रों में ग्राम पंचायत के शासन काल के दौरान श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार के लिए कई वर्ष पूर्व चबूतरे और अन्य निर्माण कार्य हुए थे। करीब 10 वर्ष पूर्व हुए निर्माण अब जर्जर हो चुके हैं। इन श्मशान घाटों के जीर्णोद्धार के लिए नगर निगम ने अब तक पहल नहीं की है। अब जर्जर हो चुके चबूतरे और श्मशान घाट में लोग मजबूरी में अंतिम संस्कार कर रहे हैं।

श्मशान घाट में झाड़ियां और बड़े पेड़
श्मशान घाटों का रखरखाव और व्यवस्थित नहीं किए जाने के कारण यहां पहुंचने वाले रास्तों में झाड़ियां उग आई हैं। खमतराई स्थित श्मशान घाट में जाने के लिए लोगों को पहले झाड़ियों की सफाई करनी पड़ती है। यही हाल बिरकोना , घुरू, अमेरी, परसदा, दोमुहानी, मोपका, चिल्हाटी, बिजौर, और बिरकोना के श्मशान घाटों का है।


पीने के लिए पानी तक नहीं

शहर के श्मशान घाटों को नगर निगम ने उद्यान के रूप में विकसित करने करोड़ों रुपए खर्च किए हैं। साथ ही यहां पेयजल की व्यवस्था की गई है। इसके विपरीत नए क्षेत्रों के श्मशान घाटों में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। अंतिम संस्कार के लिए लगने वाली पानी को भी कई किलो मीटर दूर से लोगों को लाना पड़ रहा है।

नए क्षेत्र जहां हैं 21 श्मशान घाट
तिफरा नगर पालिका परिषद, सिरगिट्टी और सकरी नगर पंचायत, 15 ग्राम पंचायतों मेें मंगला, उसलापुर, अमेरी, घुरू, परसदा, दोमुंहानी, देवरीखुर्द, मोपका, चिल्हाटी, लिं़गियाडीह, बिजौर, बहतराई, खमतराई, कोनी, बिरकोना


समाज प्रमुखोें की मांग पर राज्य शासन लगातार श्मशान घाटों के विकास के लिए राशि जारी कर रही है। निगम में शामिल नए क्षेत्रों के श्मशान घाटों के पास वन विभाग के डिपो से लकड़ी लाकर टॉल की व्यवस्था कराई जाएगी। साथ ही जिन श्मशान घाटों में अव्यवस्था है उसे दूर करने जोन कमिश्नरों को निर्देश देकर जरूरत के अनुसान विकास कार्य कराए जाएंगे।

शेख नजीरूद्दीन
अध्यक्ष नगर निगम, बिलासपुर