बिलासपुर. शहर में जर्जर मकानों का सर्वे करने के लिए आयुक्त के फरमान के बाद भी जोन कमिश्नरों ने काम शुरू नहीं किया है। पत्रिका की खबर के बाद 8 जुलाई को नगर निगम आयुक्त ने मंगल चौक में नाला निर्माण के दौरान इमारत के ढह जाने की घटना के बाद फरमान जारी किया था। अब तक किसी जोन कमिश्नर ने रिपोर्ट नहीं दी है। वहीं शहर में आज भी जर्जर मकान लोगों के लिए आफत बने हुए हैं।
शहर में जर्जर मकानों की भरमार होने के बाद भी इन्हे दुरूस्त करने निगम की ओर से पहल नहीं होने के संबंध में पत्रिका ने 7 जुलाई को खबर प्रकाशित की थी। खबर में बताया गया था कि शहर में पुराने हो चुके जर्जर मकानों की जानकारी निगम के पास नहीं है। पहले भी ऐसे मकान ढहकर जानलेवा भी साबित हो चुके हैं । नियम के तहत निगम को मानसून से पहले ऐसे मकानों की सूची जारी करते हुए मकान मालिकों को जीर्णोद्धार कर लेने या इसे ढहा देने के निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन ऐसा अब तक निगम अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया था। शहर में करीब 100-120 वर्ष पुराने मकानों भी है साथ ही70 - 80 वर्ष पुराने मकानों की भरमार है। ऐसे मकान शहर के सबसे पुराने बसे क्षेत्रों में अधिक हैं। ऐसे मकानों में रहने वाले भी सुरक्षित नहीं होते और आसपास रहने वालों को भी हादसे का डर बना रहता है। इसके बाद 8 जुलाई को मंगला चौक स्थित एक इमारत नाला निर्माण के दौरान ढह गई थी। नगर निगम आयुक्त कुणाल दुदावत ने फरमान जारी कर शहर के जर्जर मकानों का सर्वे करने के आदेश शहर के सभी 8 जोन कमिश्नरों को दिए थे, लेकिन अधिकारियों ने 15 दिन बीतने के बाद भी जर्जर मकानों का सर्वे नहीं करा पाया है।
पहले भी हो चुके हादसे, फिर भी नहीं लिया सबक शहर में जर्जर मकान और दीवार ढहने के पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं। बीते वर्ष बारिश के मौसम में तालापारा मरीमाई गली में जर्जर दीवार ढह गई थी। इसके साथ ही दो वर्ष पूर्व तालापारा में एक मकान ढह गया था। वहीं 20 दिन पूर्व मानसून के साथ हुई बारिश के दौरान सकरी के सरकारी स्कूल में मिट्टी की जोड़ाई से बने भवन की शेड़ उड़ गई थी और नए निर्माण पर गिरने के कारण क्षति हुई थी। चांटापारा शहीद चौक के पास 15 दिन पूर्व हुई बारिश के कारण एक मकान ढहने लगा था, जिसे मकान मालिक को खुद ढहाना पड़ा था। इसके बाद भी निगम ने ऐसे मकानों को दुरूस्त रखने और हादसे रोकने के लिए आयुक्त के आदेश के बाद भी अब तक सबक नहीं लिया है।
शहर के इन क्षेत्रों में मिलते हैं जर्जर आवास शहर के कुदुदंड, सदर बाजार, गोल बाजार, जूना बिलासपुर, जूनी लाइन पुराना सरकंडा, तारबाहर, तालापारा, तिलक नगर, राजेन्द्र नगर, 27 खोली, चंदुवाभाठा, जरहाभाठा, मिनी बस्ती, तिफरा समेत अन्य क्षेत्रों में अधिक हैं।
बारिश और आकाशीय गर्जना से खतरा
बारिश के मौसम में तेज बारिश और आकाशीय गर्जना के साथ वज्रपात अधिक होते हैं। ऐसे में जर्जर आवासों के लिए ये सभी जर्जर मकानों को और कमजोर करते हैं, जिससे हादसे होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
आयुक्त के आदेश के बाद भी अब तक जोन कमिश्नरों ने जर्जर मकानों की सूची नहीं दी है। सोमवार को इसकी जानकारी ली जाएगी।
सुरेश शर्मा
भवन निर्माण अधिकारी, नगर निगम