दोनो बैराज में लगाए जाने वाले गेट का निर्माण ठेका कंपनी ने पचरीघाट बैराज के पास ही किया है। गेट निर्माण में लगने वाले लोहे को ठेका शर्त के अनुसार सेल, टाटा, जिंदल या श्याम स्टील कंपनी के लोहे से बनाया जाना है, लेकिन ठेकेदार ने गेट के निर्माण में इस नियम को दरिकिनार कर दिया है। बैराज में लगाए गए गेट में जिस लोहे का उपयोग हुआ है वह परत दर परत उखड़ने लगा है। यही हाल बैराज में लगाने के लिए बनाकर रखे गए गेट का है। उसकी परते भी लगाने से पहले निकलने लगी है। गेट का देखने और अवलोकन करने से यह स्पष्ट है कि इसके निर्माण में स्क्रैप लोहे या लोकल स्तर के लोहे का उपयोग हुआ है।
बिना वजन तौले ही लगाए जा रहे गेट
नियम के तहत बैराज में लगने वाले गेट को विद्युत यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच करने और इसका वजन कराने के बाद मानक स्तर का होने पर ही बैराज में लगाए जाने की अनुमति देना होता है, लेकिन बैराज निर्माण से लेकर गेट लगाने तक का काम सिंचाई विभाग के अिधकारियों के बिना जांच पड़ताल और विद्युत यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों के बिना वजन नापने और जांच करने के चल रहा है। ठेकेदार को विभाग के अधिकारियों ने मनमाना काम करने की पूरी छूट दे रखी हैं।
गेट की जांच का काम विद्युत यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों का है।
अजय सोमावार
सीईई हसदेव कछार परियोजना
मैं दूसरे काम में व्यस्त हूं इस संबंध में बात नहीं कर सकता।
दिनेश सिंह
ईई विद्युत यांत्रिकी विभाग