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‘102 Not Out’: बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की धमाकेदार कमाई, दूसरे दिन कमाए…

गौरतलब है कि उमेश शुक्ला के निर्देशन में बनी इस फिल्म का बजट 25-30 करोड़ रुपये बताया जा रहा है

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Amit Kumar Singh

May 06, 2018

102 not out

102 not out

बॉलीवुड के महानायाक अमिताभ बच्चन और सदाबहार अभिनेता ऋषि कपूर स्टारर फिल्म 102 Not Out ताबड़तोड़ कमाई कर रही है। मूवी ने फर्स्ट डे ३.५२ करोड़ रुपए कमाए वहीं दूसरे दिन ५.५३ का कलेक्शन किया है। ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श के मुताबिक फिल्म को माउथ पब्लिसिटी का काफी फायदा मिला है और पहले वीकेंड में फिल्म की कमाई में और इजाफा हो सकता है। गौरतलब है कि उमेश शुक्ला के निर्देशन में बनी इस फिल्म का बजट 25-30 करोड़ रुपये बताया जा रहा है। फिल्म ने दो दिनों में 9.05 करोड़ रुपये कमा लिए है।

फिल्म समीक्षको की राय
अक्सर हम अपने आस-पास देखते हैं कि जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है तो वह खुद को बूढ़ा मानने लगता है। उसकी सोच पर भी बुढ़ापे का आवरण आ जाता है। इस वजह से वह जिंदगी का लुत्फ उठाने के बजाय उसे ढोने लगता है। वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो इस फिलॉसफी में यकीन रखते हैं कि 'उम्र महज एक संख्या है और कुछ नहीं...।' इसी फलसफे पर आधारित उमेश शुक्ला की फिल्म '१०२ नॉट आउट' पिता-पुत्र की असाधारण कहानी है, जो कि मनोरंजन के साथ जिंदगी को जिंदादिली के साथ जीने का संदेश देती है।

स्क्रिप्ट फिल्म का प्लॉट लेखक सौम्य जोशी के इसी शीर्षक के गुजराती नाटक पर बेस्ड है। कहानी में मुंबई के विले पार्ले ईस्ट में १०२ वर्षीय दत्तात्रय वखारिया (अमिताभ बच्चन) अपने ७५ साल के बेटे बाबूलाल (ऋषि कपूर) के साथ रहते हैं। दत्तात्रय १०२ साल के होने के बावजूद २६ साल के युवा जैसी ऊर्जा व उमंग रखते हैं और उन्हें जिंदगी को बिना किसी तनाव के मजेदार अंदाज में जीने में यकीन है। वहीं, बाबू ने बुढ़ापे को ओढ़ लिया है। उन्होंने अपने आस-पास ऐसा ऑरा बना लिया है, जिससे उनमें नकारात्मकता और खीझ बढ़ गई है। एक दिन दत्तात्रय घर आकर बाबू को बताते हैं कि वह दुनिया में सबसे ज्यादा जीने वाले व्यक्ति का रिकॉर्ड (११८ साल, ३ महीने, २८ दिन) तोडऩा चाहते हैं, जो कि चीन के एक शख्स के नाम है। लेकिन दत्तात्रय को लगता है कि उनके रिकॉर्ड बनाने के मकसद में बाबू बाधक है, क्योंकि जिंदगी के प्रति उसका नीरस रवैया माहौल को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में वह बेटे को वृद्धाश्रम भेजना तय करते हैं। जब वह जाने से मना कर देता है तो दत्तात्रय उसके सामने एक के बाद एक शर्त रखते जाते हैं।