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Dilip Kumar Had To Go To Jail: आखिर क्यों दिलीप कुमार को भूखे पेट एक दिन बिताना पड़ा जेल में

Dilip Kumar Had To Go To Jail: ब्रिटिश सैनिकों के खिलाफ भाषण देना दिलीप कुमार को भारी पड़ गया।

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नई दिल्ली।Dilip Kumar Had To Go To Jail: सिनेमा जगत के ट्रेजेडी किंग के नाम से मशहूर, अभिनेता दिलीप कुमार ने 98 साल की उम्र में इस दुनिया को भले ही अलविदा कह दिया हो, लेकिन अपने शानदार अभिनय के बल पर लोगों के दिलों में जो जगह बनाई थी वह आज भी कायम है। दिलीप कुमार ने क्रांति, विधाता, कर्मा, देवदास, मुग़ल-ए-आज़म, दीदार, इज्जतदार, सौदागर जैसी ना जाने कितनी फिल्मों में अपने दमदार अभिनय द्वारा जान डाली।

यही नहीं सबसे अधिक बार 'फिल्म फेयर श्रेष्ठ अभिनेता' का पुरस्कार जीतने का किताब भी उनके नाम ही है। उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत वर्ष 1944 में 'ज्वार भाटा' फिल्म से की थी। इसके अलावा, हिंदी सिनेमा के असल शो मैन कहे जाने वाले 'सत्यजीत रे' ने दिलीप कुमार को हिंदी सिनेमा के पहले और आख़िरी 'मैथेड एक्टर' की उपाधि भी दी थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, इतने प्रसिद्ध और अद्भुत प्रतिभा के धनी अभिनेता दिलीप कुमार को एक दफा जेल भी जाना पड़ा था। तो चलिए आपको बताते हैं, कि दिलीप कुमार से होती कौन सी गलती हो गई जिसने उन्हें जेल पहुंचा दिया...

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जी हां, यह सच है कि दिलीप कुमार की ज़िंदगी में एक दिन ऐसा भी आया था जब उन्हें जेल जाना पड़ा था। और इस बात का जिक्र उन्होंने स्वयं अपनी ऑटो बायोग्राफ़ी 'दिलीप कुमार: द सब्सटेंस एंड द शैडो' में किया है कि, किस तरह एक छोटी सी बात को लेकर वो गिरफ्तार कर लिए गए थे।

दरअसल, मामला है था कि दिलीप साहब पुणे की जिस 'ब्रिटिश आर्मी कैंटीन' में काम किया करते थे, वहां एक बार अपने भाषण में उन्होंने जोश-जोश में कह दिया था कि, 'आज़ादी की लड़ाई जायज़ है और ब्रिटिशों की वजह से ही भारत में सारी मुसीबतें पैदा हो रही हैं'। उनके इस सच्चाई भरे भाषण पर खूब तालियां भी बजीं, परंतु उनकी यह बात ब्रिटिश सैनिकों को चुभ गई और भाषण खत्म होने के थोड़ी देर के अंदर ब्रिटिश सैनिक आए और दिलीप साहब को हथकडी पहनाकर गिरफ़्तार करके अपने साथ ले गए। इसी वजह से दिलीप कुमार को पुणे की 'यरवदा जेल' जाना पड़ा था।

इसके अलावा दिलीप कुमार को जेल में सत्यग्राही क़ैदियों के साथ ही रखा गया था। आपको बता दें कि जिस जेल में दिलीप कुमार को कैद किया गया था उसी जेल में लोह पुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल भी क़ैद थे। उस समय देश को आजाद कराने के लिए कारागृह के सभी क़ैदी भूख हड़ताल पर थे। इसलिए दिलीप कुमार भी उनका साथ देने के लिए भूख हड़ताल पर बैठ गए। हालांकि भूख के कारण रात भर गए सो भी नहीं पाए और फिर अगली सुबह दिलीप कुमार को जेल से रिहा कर दिया गया।