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कश्मीरी हिंदुओं की ‘जुबान और चेहरा’ बने अनुपम खेर, कहा- जिहादियों के लिए आधी रात में खुलने वाली अदालत ने हमे सुनने से भी मना कर दिया

अपने अभिनय कला से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाले अनुपम खेर अक्सर सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस के साथ अपने मन की बात साझा करते रहते हैं। हाल ही में एक्टर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू पर अपनी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' से संबंधित एक छोटा-सा वीडियो साझा किया है।

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बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर (Anupam Kher) ने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है। वे अब तक कई चर्चित और यादगार फिल्मों का हिस्सा रहे हैं। इन दिनों अनुपम खेर फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री की अपकमिंग फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स को लेकर चर्चा में हैं। यह फिल्म नब्बे के दशक में कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार और पलायन पर केंद्रित है। इस फिल्म में अनुपम खेर की भी भूमिका है। इस फिल्म को अपने अभिनय कला से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाले अनुपम खेर अक्सर सोशल मीडिया के जरिए अपने प्रशंसकों के साथ अपने मन की बात साझा करते रहते हैं।

हाल ही में अभिनेता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू पर अपनी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' से संबंधित एक छोटा-सा वीडियो साझा किया है। इस वीडियो में अनुपम खेर कहते हैं, "आप सब तक पहुंचने के लिए झटपटा रहा हूं। मुझसे मिलिए।"

सोशल मीडिया एप पर साझा किए गए वीडियो की शुरुआत में अनुपम खेर बोलते हैं, "ईश्वर की कृपया और आप सबके प्यार व आर्शीवाद से, मैं 522 फिल्में कर चुका हूं। अनुपम खेर हूं। पात्र बनता हूं। अभिनय करता हूं। हंसाता हूं। रुलाता हूं। यही मेरा सारांश है। लेकिन इस बार मैं कोई पात्र नहीं बना। मैंने अभिनय नहीं किया और द कश्मीर फाइल्स कोई डायलॉग भरी कहानी भी नहीं है। वीडियो शेयर करते हुए अनुपम खेर ने लिखा है, “आज मैं सिर्फ अभिनेता नहीं रहा। मैं गवाह हूँ और द कश्मीर फाइल्स मेरी गवाही है। वो सब कश्मीरी हिंदू, जो या तो मार डाले गए या जीते जी एक शव की तरह जीने लगे। अपने पुरखों की जमीन से उखाड़ कर फेंक दिए गए। आज भी न्याय को तरस रहे हैं। अब मैं उन सब कश्मीरी हिंदुओं की जुबान और चेहरा हूँ।”

वीडियो की शुरुआत में अनुपम कहते हैं, “ईश्वर की कृपा और आप सबके प्यार व आर्शीवाद से, मैं 522 फिल्में कर चुका हूँ। अनुपम खेर हूँ। पात्र बनता हूँ। अभिनय करता हूँ। हँसाता हूँ। रुलाता हूँ। यही मेरा सारांश है। लेकिन इस बार मैं कोई पात्र नहीं बना। मैंने अभिनय नहीं किया और द कश्मीर फाइल्स कोई डायलॉग भरी कहानी भी नहीं है।”

कश्मीरी पंडितों की बात करते हुए कहा है, “32 साल पहले लाखों कश्मीरी हिंदू तहस-नहस कर दिए गए थे। मेरे हाथ, पाँव, बाजू, ये शरीर जैसे रातों-रात जिहाद ने रौंद डाला। 90 करोड़ का यह भरा-पूरा देश बेखबर रहा। पुलिस मानों गायब हो गई। मीडिया गूँगी-बहरी हो गई। सेना छावनियों में पड़ी रही और कश्मीर हम हिंदुओं से खाली करा लिया गया।”

वे आगे कहते हैं, “कश्मीरी पंडितों के पलायन पर कोई जाँच नहीं हुई। आज तक कोई आयोग नहीं बैठा। कोई मुकदमा नहीं चला। कोई दोषी नहीं पाया गया। किसी को सजा नहीं हुई। हाँ मुद्दा जरूर उछाला गया। लेकिन जिहादियों के लिए आधी रात में खुलने वाली अदालत ने हमें सुनने से भी मना कर दिया।”

अनुपम खेर ने अपने लिए इस फिल्म का महत्व बताते हुए कहा है, “द कश्मीर फाइल्स फिल्म से कहीं बढ़कर, आप सबकी की अंतरात्मा की अदालत में हम कश्मीरी हिंदुओं की एक दस्तक है। मैं अनुपम खेर नहीं हूँ। मैं अब पुष्कर नाथ हूँ। आप सब तक पहुँचने के लिए छटपटा रहा हूँ। मुझसे मिलिए… द कश्मीर फाइल्स में।”

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