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कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर आया बड़ा अपडेट; जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

Udaipur Files: कन्हैया लाल हत्याकांड के इर्द-गिर्द बनी इस फिल्म की रिलीज पर गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने अस्थायी रूप से रोक लगाई। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा।

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मुंबई

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Saurabh Mall

Jul 11, 2025

SC Udaipur Files

फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट बयान सामने आया है।

Udaipur Files: फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर कांवड़ यात्रा तक रोक लगाने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लाया गया था। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करने से इनकार करते हुए याचिका को ठुकरा दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर एक टिप्पणी दी। कहा, "पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट इस पर आदेश दे चुका है इसलिए इस मांग पर हम कोई सुनवाई नहीं करेंगे।"

कन्हैयालाल की गला रेत कर हत्या

'उदयपुर फाइल्स' फिल्म शुक्रवार को ही रिलीज होनी थी। यह कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित है। 28 जून, 2022 को राजस्थान के उदयपुर में मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद ने मिलकर दर्जी कन्हैयालाल का गला रेत दिया था। इस हत्याकांड के बाद पूरे देश में आक्रोश देखा गया था।

हालांकि कन्हैया लाल हत्याकांड के इर्द-गिर्द बनी इस फिल्म की रिलीज पर गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने अस्थायी रूप से रोक लगाई। यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक केंद्र सरकार फिल्म को सेंसर बोर्ड से मिली मंजूरी के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर निर्णय नहीं ले लेती।

दंगा होने की आशंका

मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की पीठ इस मामले में कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन्हीं याचिकाओं में से एक जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दायर की थी, जिसमें उन्होंने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को मिले सेंसर बोर्ड (CBFC) के सर्टिफिकेट को रद्द करने की मांग की थी।

इन याचिकाओं में कहा गया कि फिल्म की रिलीज से देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है और शांति-व्यवस्था बिगड़ सकती है। इससे समाज में धार्मिक सौहार्द भी खराब हो सकता है।

सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फिल्म पर अस्थायी रोक लगाई और केंद्र सरकार से कहा कि वह फिल्म के निर्माता का पक्ष सुनकर एक हफ्ते के अंदर याचिकाओं पर फैसला करे। अगर याचिकाओं में किसी तरह की अंतरिम राहत मांगी गई हो, तो उस पर भी विचार किया जाए।