जानकारी के मुताबिक खय्याम ने उनके गानें को याद करते हुए बताया था, ‘कि साल 1949 में मुझे एक गजल रिकॉर्ड करनी थी जिसे वली साहब ने लिखा था- ‘अकेले में वह घबराते तो होंगे, मिटाके वह मुझको पछताते तो होंगे।’ रफी साहब की आवाज में ऐसा जादू था कि जिस तरह मैंने चाहा उन्होंने उसे गाया।’ ‘बैजू-बावरा’ में गाने के बाद रफी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
मोहम्मद रफी साहब के बारे में कहा जाता है जब एक स्टेज शो के दौरान बिजली के चले जाने की वजह से उस जमाने के जाने माने गायक केएल सहगल ने स्टेज पर गाना गाने से मना कर दिया, तो वहां मौजूद 13 साल के रफी ने स्टेज को संभाला था और गाना शुरू कर दिया और यहीं से खुली मोहम्मद रफी की किस्मत।
शायद आप यह बात नहीं जानते होंगे कि ‘बैजू बावरा’ फिल्म का गाना ‘ऐ दुनिया के रखवाले’ के लिए मोहम्मद रफी ने 15 दिन तक रियाज किया था और जैसे ही उन्होनें यह गाना रिकॉर्डिंग के लिए गाया उनके गले से खून तक आने लगा था। जिसके बाद उनकी आवाज इस हद तक टूट गई थी कि कुछ लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि रफी शायद कभी अपनी आवाज वापस नहीं पा सकेंगे। लेकिन इसके बाद भी रफी ने हार नही मानी और इसके बाद भी उन्होनें कई हिट गाने दिए।