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कहां गुम हो गया इतना बड़ा बॉलीवुड स्टार, दिन में एक्टिंग के लिए भटका, रात में किया होटल में काम

Deepak Tijori Struggle Story: बड़ा एक्टर बनने की चाह ने होटल में काम कर चमकाया बॉलीवुड का रास्ता, चलिए उस एक्टर के बारे में जानते हैं।

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मुंबई

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Saurabh Mall

Aug 27, 2025

Deepak Tijori Birthday Special Story

दीपक तिजोरी की लेटेस्ट और पुरानी तस्वीर (फोटो सोर्स: एक्टर इंस्टाग्राम)

Deepak Tijori Birthday Special Story: बॉलीवुड बाहर से जितना चमकदार दिखता है, अंदर से उतना ही संघर्षों से भरा है। हर अभिनेता और अभिनेत्री की बॉलीवुड में आने की अपनी अलग कहानी होती है। कुछ अपनी कहानियां छिपाते हैं, तो कुछ समय के साथ खुलकर बताते हैं कि उन्होंने यह मुकाम कैसे हासिल किया।

दीपक तिजोरी ऐसे ही कलाकार हैं जिनका असल जिंदगी का संघर्ष किसी हीरो से कम नहीं। फिल्मों में जगह बनाने के लिए दीपक दिन में प्रोड्यूसर्स के ऑफिस के चक्कर लगाते थे और रात को होटल में नौकरी करते थे।

'तिजोरीवाला' सरनेम कैसे पड़ा? जानें कहानी

दीपक तिजोरी का जन्म 28 अगस्त 1961 को मुंबई में हुआ था। उनका परिवार मूल रूप से गुजरात के मेहसाणा से था। उनके परदादा तिजोरियां बनाने का काम करते थे, इसी वजह से दीपक का सरनेम 'तिजोरीवाला' पड़ गया, जो वक्त के साथ 'तिजोरी' हो गया। दीपक तिजोरी के पिता गुजराती वैष्णव और मां पारसी ईरानी थीं। मां को फिल्मों में काम करने का शौक था, लेकिन परिवार के रूढ़िवादी होने की वजह से उनका सपना अधूरा रह गया। हालांकि, उन्होंने अपने बेटे दीपक को अभिनय की दुनिया में जाने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया।

दीपक की पढ़ाई मुंबई के नरसी मोनजी कॉलेज से हुई, जहां से उन्हें अभिनय में गहरी रुचि जगी। कॉलेज के दिनों में उन्होंने थिएटर ग्रुप ज्वाइन किया और यहीं उनकी मुलाकात आमिर खान, आशुतोष गोवारिकर, परेश रावल जैसे कई कलाकारों से हुई, जो आगे चलकर बड़े नाम बने। कॉलेज में दीपक हर प्ले में हीरो का रोल निभाते थे और उन्हें भरोसा हो चला था कि कॉलेज से निकलते ही उन्हें फिल्मों में भी हीरो बनने का मौका मिल जाएगा, लेकिन असल दुनिया में कदम रखते ही उनकी इस सोच को झटका लगा।

बड़े भाई के कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी

कॉलेज खत्म होते ही जब दीपक ने फिल्मों में काम खोजना शुरू किया तो उन्हें समझ आ गया कि यहां बिना किसी पहचान के आगे बढ़ना आसान नहीं है। घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। पिता की आमदनी सीमित थी और बड़े भाई के कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी थी। ऐसे में दीपक ने रात में बांद्रा के होटल में फ्रंट डेस्क पर काम शुरू कर दिया, ताकि दिन में वह फिल्म स्टूडियो और प्रोड्यूसर्स के दफ्तर जा सकें। यह उनके जीवन का सबसे कठिन और उन्हें सबसे मजबूत बनाने वाला समय था। दिनभर संघर्ष और रातभर काम, कुछ इस तरह उन्होंने अपने सपने को जिंदा रखा।

धीरे-धीरे दीपक को छोटे-मोटे मॉडलिंग असाइनमेंट मिलने लगे और फिर एक दिन उन्हें अभिनेता अवतार गिल का फोन आया। उन्होंने बताया कि महेश भट्ट उन्हें ढूंढ रहे हैं। दीपक ने तुरंत उनसे संपर्क किया और तब जाकर उन्हें फिल्म 'आशिकी' में एक दोस्त का किरदार मिला। यह रोल छोटा जरूर था, लेकिन असरदार इतना था कि इसके बाद दीपक को एक के बाद एक फिल्में मिलती गईं। 'सड़क', 'दिल है कि मानता नहीं', 'खिलाड़ी', 'जो जीता वही सिकंदर', 'कभी हां कभी ना', और 'अंजाम' जैसी सुपरहिट फिल्मों में बतौर को-एक्टर काम किया। इन फिल्मों में उनकी भूमिकाओं को आज भी याद किया जाता है।

मेहनत के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई फिल्म

फिल्मों में लगातार दोस्त या साइड रोल करने के बाद दीपक तिजोरी को अगस्त 1993 में रिलीज हुई फिल्म 'पहला नशा' में बतौर लीड एक्टर काम मिला। फिल्म में शाहरुख खान और आमिर खान जैसे नाम भी गेस्ट अपीयरेंस में थे। अच्छी स्टारकास्ट के बावजूद फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई। इसी के साथ दीपक की मुख्य अभिनेता बनने की ख्वाहिश धुंधली पड़ गई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अभिनय से हटकर उन्होंने फिल्म निर्देशन में भी किस्मत आजमाई।

साल 2003 में दीपक ने फिल्म 'ऑप्स' के साथ डायरेक्टर बनने की शुरुआत की। हालांकि फिल्म को उसके बोल्ड कंटेंट की वजह से काफी आलोचना झेलनी पड़ी। फिल्म को गलत ढंग से प्रचारित किया गया और उसे एक एडल्ट फिल्म का टैग दे दिया गया, जबकि दीपक के अनुसार यह एक इमोशनल स्टोरी थी। बाद में उन्होंने 'टॉम डिक एंड हैरी', 'खामोशी: खौफ की एक रात', और 'फॉक्स' जैसी फिल्में डायरेक्ट कीं, लेकिन ये भी कमर्शियल रूप से कुछ खास नहीं कर पाईं।

टीवी इंडस्ट्री में भी आजमाया हाथ

दीपक तिजोरी ने टीवी इंडस्ट्री में भी अपनी किस्मत आजमाई और 'सैटरडे सस्पेंस', 'थ्रिलर एट 10 फरेब', और 'डायल 100' जैसे शो प्रोड्यूस किए। ये शो काफी लोकप्रिय हुए और अवॉर्ड भी जीते। लेकिन जब टीवी पर सास-बहू ड्रामे का चलन बढ़ा, तो दीपक ने टीवी से दूरी बना ली।

इसके बाद दीपक ने फिर से एक्टिंग में वापसी की। उन्होंने 'इत्तर' जैसी फिल्मों में मध्यम आयु के प्रेमी का किरदार निभाया। भले ही उन्हें कोई बड़ा अवॉर्ड न मिला, लेकिन उनका संघर्ष और अभिनय आज भी सिनेमा प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।