जी हां... काफी कुछ सीखने को मौका मिला। दरअसल, हमारे स्कूल के समय से जो लोगों को इतिहास पढ़ाया गया होगा। उस समय तो मैं बड़ा ही फिल्मी बच्चा हुआ करता था। इस लिहाज से पहले तो बाजीराव का मतलब ही समझ में नहीं आया। फिर एक दिन जिनका मैं फैन हूं... संजय लीला से संबंधित एक आर्टिकल पढ़ा था, जिसमें पता चला कि वे बाजीराव मस्तानी बनाना चाह रहे हैं। फिर उसे जानने की चाहत में मैं भंसाली जी की ओर खिंचा सा चला आया और 'रामलीला' के टाइम ही उन्होंने मुझे सचेत कर दिया था कि वे ऐसा करने वाले हैं, लेकिन फाइनली ऑफर मुझे 'गुंडे' के लिए मिला। बस, फिर मैं जैसे ही उनके ऑफिस से बाहर निकला तो नेट में सर्च मारा, तब पता चला कि सच में 'वह' कितना महान इंसान था। यानी उस समय का उस जैसा हर विधा में पारंगत कोई योद्ध ही नहीं रहा होगा। इस लिहाज से मुझे यकीन है कि लोग मुझे पसंद जरूर करेंगे...।