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इस बड़ी वजह के चलते पिता की जगह मां का नाम जोड़ते हैं निर्देशक संजय लीला भंसाली, इंडस्ट्री को दी कई बड़ी फिल्में

बॉलीवुड के बड़े निर्देशक संजय लीला भंसला, जिन्होंने इंडस्ट्री को कई ऐतिहासिक फिल्में दी हैं. वैसे संजय लीला भंसाली की फिल्म जितनी पसंद की जाती है उतनी ही विवादों सी घिरी रहती हैं, लेकिन आज हम आपको निर्देशक से जुड़ी एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं, जो आपको काफी हैरान कर देगी और काफी पसंद भी आएगी.

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इस बड़ी वजह के चलते पिता की जगह मां का नाम जोड़ते हैं निर्देशक संजय लीला भंसाली

बॉलीवुड को 'खामोशी', 'ब्लैक', 'हम दिल दे चुके सनम', 'पद्मावत' और 'गंगूबाई काठियावाड़ी' जैसी फिल्में देने वाले बड़े निर्देशक संजय लीला भंसली अक्सर ही अपनी फिल्मों को लेकर काफी विवादों में रहते हैं. उनकी फिल्मों की काफी चर्चा होती हैं. बॉलीवुड में संजय लीला पहले ऐके निर्देशक हैं, जिनके फिल्म के सेट पर तोड़-फोड़ जैसी चीजें होती हैं, लेकिन आज हम इस बारे में बात नहीं करेंगे. आज हम आपको संजय लीला भंसाली से जुड़ी एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं, जो आपको काफी हैरान कर देगी और काफी पसंद भी आएगी.

आप सभी जानते हैं कि हमारे देश में ज्यादातर अपने नाम के साथ पिता का लिखा जाता है, लेकिन निर्देशक संजय लीला भंसाली अपनी मां का नाम लिखते हैं और इससे ये बात तो साफ हो जाती हैं कि वे अपनी मां को कितना प्यार करते हैं और उनकी कितनी इज्जत करते हैं, लेकिन सवाल ये उठता है आखिर वे अपने नाम के साथ अपनी मां का नाम क्यो जोड़ते हैं. संजय लीला भंसारी की मां का नाम लीला भंसाली है. इसलिए उनका नाम संजय लील भंसारी है. निर्देशक की मां ने अपनी जिंदगी में बेहद संघर्ष किया है.

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गरीबी में भी हिम्मत नहीं हारी और न ही कभी टूटी हैं. संघर्ष करती रहीं और डटी रहीं. उन्होंने अपनी इससी हिम्मत से अपने बच्चों को प्यार से पाला और उनको अच्छी शिक्षा दिलाई. संजय लीला ने अपनी मां की जिंदगी को बेहद करीब से देखा है. बड़े होने पर उन्हें अपनी मां की परेशानियां और संघर्ष समझ में आया और उन्होंने अपनी मां का नाम साथ में जोड़ लिया. संजय लीला के पिता भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे. वे असफल रहे और इस असफलता को बर्दाश्त नहीं कर पाए.

उनके पिता अपनी सभी परेशानियों से लड़ते-लड़ते हिम्मत हार गए और खुद को शराब में डूबो दिया. हर समय नशे में रहने लगे. ऐसे में घर की हालत खराब हो गई. बच्चे छोटे थे. पिता जिम्मेदारी नहीं निभा रहे थे. संजय की मां लीला भंसाली ने सारा जिम्मा खुद उठाने का फैसला किया वे भी गायिका और डांसर थीं. उन्हें इक्का-दुक्का फिल्मों में छोटे रोल मिले, लेकिन इससे गुजारा होना मुश्किल था. इसके लिए उन्होंने साड़ी में फॉल लगाने का काम शुरू किया. इसके अलावा भी उन्होंने कुछ छोटे-मोटे काम करने शुरू किए. इससे जो भी आमदनी होती थी उससे वे घर खर्चा चलाती थी.

साथ में अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में भी उन्होंने दाखिला दिलवाया ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई कमी न रहे. संजय लीला को अपने घर के ये हालात देख कर काफी गुस्सा आता था, लेकिन वे कुछ नहीं कर पाते थे. संजय ने अपनी पढ़ाई पूरी की. बाद में पुणे स्थित एफटीआईआई में दाखिला लिया. वहां से निकलने के बाद वे मुंबई आए. उस समय विधु विनोद 'परिंदा' नाम की फिल्म बना रहे थे. संजय लीला भंसाली की प्रतिभा से विधु काफी प्रभावित हुए. उन्होंने अपना सहायक बना लिया, जब फिल्म पूरी हुई और स्क्रीन पर जाने वाले नामों की लिस्ट मांगी गई तो भंसाली ने अपना नाम संजय लीला भंसाली लिखवाया.

वे अपनी मां को आदरांजलि (Respect) देना चाहते थे, जो मां ने किया था उसका कर्ज तो कभी नहीं चुकाया जा सकता, लेकिन संजय लीला भंसाली ने अपने नाम में मां का नाम जोड़ कर एक अनोखी परंपरा की शुरूआत की. उन्होंने ये साबित किया कि वे अपनी मां से कितना प्यार करते हैं. आखिर मां के संघर्ष ने ही तो उन्होंने यहां तक पहुंचाया.

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