scriptइस मशहूर विलेन को काम के लिए मना कर देते थे फिल्ममेकर्स, दो वक्त की रोटी के लिए अखबार भी बेचने पड़े | Exclusive interview of Actor Prem Chopra | Patrika News

इस मशहूर विलेन को काम के लिए मना कर देते थे फिल्ममेकर्स, दो वक्त की रोटी के लिए अखबार भी बेचने पड़े

locationमुंबईPublished: Jan 18, 2020 04:32:02 pm

Submitted by:

Mahendra Yadav

अभिनेता ने पत्रिका एंटरटेनमेंट के साथ खास मुलाकात में अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बारे में बात की।

Bollywood villians

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वक्त के साथ चीजें बदल गई हैं। सिनेमा में भी काफी बदलाव आ गया है। हमारे जमाने में और आज के दौर में काफी अंतर है। यह कहना है बॉलीवुड के मशहूर विलेन प्रेम चोपड़ा का। अभिनेता ने पत्रिका एंटरटेनमेंट के साथ खास मुलाकात में अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बारे में बात की।

वक्त के साथ आया बदलाव
प्रेम चोपड़ा ने कहा, पहले खलनायक की अलग इमेज हुआ करती थी। फिल्म में खलनायक होता था तो दर्शक समझ जाते थे कि ये फिल्म में कोई ना कोई गड़बड़ करेगा। अब ऐसा नहीं है, खलनायकी का वो दौर चला गया। सिनेमा में बहुत से बदलाव हो गए और हो रहे हैं। फिल्मों की कहानियां बदल गई हैं। अब हीरो ही विलेन का रोल करने लगे हैं।

इस मशहूर विलेन को काम के लिए मना कर देते थे फिल्ममेकर्स, दो वक्त की रोटी के लिए अखबार भी बेचने पड़े

हीरो बनने आया था मुंबई
अभिनेता ने बताया, ‘मैं हीरो बनने के लिए इंडस्ट्री में आया था। कुछ फिल्मों में बतौर हीरो काम भी किया लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाई। उस वक्त माली हालत भी ऐसी नहीं थी कि किसी फिल्म के लिए मना कर सकें। विलेन का रोल मिला तो वो भी किया। खलनायक के रोल में लोगों ने पसंद किया तो फिर वही करने लगे और रोल भी वैसे ही मिलते थे।

रिजेक्शन भी झेला
एक्टर ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया कि शुरुआत में काम मिलना बहुत मुश्किल था। कई बार रिजेक्शन भी झेला है। किसी प्रोड्यूसर,डायरेक्टर के पास जाते थे तो तस्वीर देखकर साइड में रख देते थे और कहते—देखते हैं, बाद में आना। कई बार मुंह पर ही मना कर दिया जाता था। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी।

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पिता बनाना चाहते थे आईएएस अधिकारी
प्रेम चोपड़ा के पिता रणबीर लाल सरकारी नौकरी में थे। वे चाहते थे कि बेटा एक्टर नहीं बल्कि आईएएस अफसर बने। अभिनेता ने बताया, ‘शिमला में मैं थियेटर किया करता था। एक दिन पिताजी को बताया कि एक्टिंग करना चाहता हूं तो उन्होंने कहा कि बेटा कोई नौकरी करो। हालांकि मैं उनको मनाकर मुंबई आ गया और इंडस्ट्री में काम पाने का संघर्ष शुरू हुआ।

फिल्मों के साथ नौकरी भी की
उन्होंने कहा, मुंबई में हमारा कोई नहीं था। ऐसा भी नहीं था कि आते ही काम मिल जाए। इसलिए नौकरी करना शुरू कर दिया। मैं एक अखबार के सर्कुलेशन डिपार्टमेंट में काम करता था। उस दौरान फिल्मों में काम मिलना शुरू हो गया था लेकिन नौकरी नहीं छोड़ी। जब मुझे लगा कि एक्टिंग से मुझे दो वक्त की रोटी मिलने में कोई दिक्कत नहीं आ रही, तब मैंने नौकरी से दूरी बनाई और पूरी तरह अभिनय को समर्पित हो गया।

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