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Guru Dutt पर ‘प्यासा’ नाम से बनेगी Biopic, बिछड़े सभी बारी-बारी

यह बायोपिक ऐसे समय बनने वाली है, जब गुरुदत्त ( Guru Dutt ) की गायिका पत्नी गीतादत्त और उनके दोनों बेटे काफी पहले दुनिया से रुखसत हो चुके हैं। गुरुदत्त की फिल्मकार भांजी कल्पना लाजमी (एक पल, रुदाली) का भी दो साल पहले देहांत हो चुका है, जिन्होंने आमिर खान को लेकर बनने वाली बायोपिक पर विरोध जताया था।

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Guru Dutt पर 'प्यासा' नाम से बनेगी Biopic, बिछड़े सभी बारी-बारी

Guru Dutt पर 'प्यासा' नाम से बनेगी Biopic, बिछड़े सभी बारी-बारी

-दिनेश ठाकुर
भारतीय सिनेमा की दो हस्तियों गुरुदत्त ( Guru Dutt ) और मधुबाला ( Madhubala ) पर बायोपिक की चर्चा कई साल से चल रही है। 'जब वी मेट' और 'रॉकस्टार' के फिल्मकार इम्तियाज अली ने पिछले साल मधुबाला पर बायोपिक की तैयारियां शुरू की थीं, लेकिन मरहूम अदाकारा की बहनों के विरोध को लेकर उन्होंने कदम पीछे खींच लिए। करीब 10-11 साल पहले आमिर खान को लेकर गुरुदत्त ( Guru Dutt ) पर बायोपिक की चर्चा भी वक्त के साथ ठंडे बस्ते में चली गई। अब खबर है कि फिल्मकार भावना तलवार इस लीजेंड पर बायोपिक बनाने वाली हैं। अपनी पहली फिल्म 'धर्म' (2007) के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वालीं भावना सात साल से इस बायोपिक की तैयारियों में जुटी थीं। वे जल्द इसकी शूटिंग शुरू करने का इरादा रखती हैं। बायोपिक का नाम गुरुदत्त की 1957 की क्लासिक फिल्म के नाम पर 'प्यासा' रखा गया है। 'धर्म' के साथ-साथ भावना तलवार की 'हैप्पी' (2019) के नायक पंकज कपूर इसमें गुरुदत्त का किरदार अदा करेंगे।

यह बायोपिक ऐसे समय बनने वाली है, जब गुरुदत्त की गायिका पत्नी गीतादत्त और उनके दोनों बेटे काफी पहले दुनिया से रुखसत हो चुके हैं। गुरुदत्त की फिल्मकार भांजी कल्पना लाजमी (एक पल, रुदाली) का भी दो साल पहले देहांत हो चुका है, जिन्होंने आमिर खान को लेकर बनने वाली बायोपिक पर विरोध जताया था। गुरुदत्त की बहन ललिता लाजमी (कल्पना की मां) चित्रकार हैं। वे 87 साल की हैं और कोलकाता में रहती हैं। बहरहाल, 10 अक्टूबर, 1964 को सिर्फ 39 साल की उम्र में संवेदनशील और प्रबुद्ध फिल्मकार गुरुदत्त की मौत आज तक पहेली है। कुछ इसे आत्महत्या मानते हैं तो कुछ जरूरत से ज्यादा नींद की गोलियों के सेवन से हुआ हादसा। नासिर काजमी की गजल 'दिल में इक लहर-सी उठी है अभी/ कोई ताजा हवा चली है अभी' का शेर है- 'भरी दुनिया में जी नहीं लगता/ जाने किस चीज की कमी है अभी।' गुरुदत्त की जिंदगी में जारी छटपटाहट की यह शेर काफी हद तक तर्जुमानी कर देता है। किसी संवेदनशील कलाकार की जिंदगी में यह छटपटाहट कब और कहां से दाखिल होती है, इसका जवाब बांग्ला कथाकार विमल मित्र भी नहीं पा सके, जिनकी गुरुदत्त से कई साल गहरी दोस्ती रही, जिनकी कहानी पर गुरुदत्त ने 'साहिब बीवी और गुलाम' बनाई।

खुशी के लिए इंसान की ख्वाहिशों में जो कुछ भी होता है- दौलत, शोहरत, इज्जत, नेकदिल पत्नी, प्यारे-प्यारे बच्चे, आलीशान मकान.. गुरुदत्त के पास सब कुछ था। उनके साथ बिताए दिनों की यादों पर अपनी किताब 'बिछड़े सभी बारी-बारी' में विमल मित्र ने लिखा था- 'गुरुदत्त की जिंदगी में आखिर किस चीज की कमी थी? वह इतना परेशान क्यों थे? इतनी पीड़ा क्यों झेल रहे थे? जाग-जागकर रातें क्यों गुजारते थे? क्यों बेचैन रहते थे? आखिर कौन-सा दर्द था?' गुरुदत्त की बायोपिक में इन सवालों के तर्कसंगत जवाब खोजने की कोशिश होनी चाहिए।