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जब 60 के दशक में एक्ट्रेस के लिए ऑडिशन देना होता था मुश्किल, निर्देशक के सामने बदलने पड़ते थे कपड़े

जहां आज एक्ट्रेस के ऑडिशन लेने के लिए पूरी एक कास्टिंग टीम होती है और कई-कई राउंड ऑडिशन होते हैं तो वहीं, 60 के दशक में लड़कियों के लिए फिल्मों में अपनी जगह बनाना कितना मुश्किल हुआ करता था। लड़कियों को निर्देशक के सामने कपड़े बदलने पड़ते थे।

How 60s Directors took the Auditions for the Actress role see pictures
60s Directors Auditions for the Actress

नई दिल्ली: 60s Directors Auditions for the Actress: आज समय के साथ फिल्म जगत भी पूरी तरह से बदल गया है। जहां आज ऑडिशन लेने के लिए पूरी एक कास्टिंग टीम होती है और कई-कई राउंड ऑडिशन होते हैं तो वहीं, 60 के दशक में लड़कियों के लिए फिल्मों में अपनी जगह बनाना कितना मुश्किल हुआ करता था। उस दौर में निर्देशक खुद ही लड़कियों का ऑडिशन बड़ी बारीकी से लेते थे। ऑडिशन के दौरान लड़कियों को वो करना होता था, जो कभी कोई लड़की नहीं करना चाहेगी।

आज हम आपको 1951 के ऑडिशन की कुछ तस्वीरें देखा रहे हैं। ये तस्वीरें जेम्स बुर्के ने क्लिक की थी। जो कि एक जानी-मानी मैगजीन में पब्लिश हुई थी। इन तस्वीरों में आप फिल्म जगत के जाने-माने निर्देशक अब्दुल राशिद करदार को लड़कियों का स्क्रीन टेस्ट लेते देख सकते हैं।

निर्देशक हीरोइन चुनने पर खास ध्यान देते थे
उस समय फिल्म के निर्देशक हीरोइन चुनने पर खास ध्यान देते थे। एक लड़की में बहुत ही बारीकी से हर चीज की परख की जाती थी। जैसे- उसका फिगर कैसा है, बाल कैसे हैं, आवाज कैसी है, अभिनय कैसा है आदि।

लड़की हर रोल के लिए परफेक्ट चाहिए थी
वहीं, जब किसी लड़की को रोल के लिए कास्ट किया जाता था तो, उसमें हर तरह की भूमिका करने की हिम्मत हो, कोई भी चुनौती का सामना करने का आत्मविश्वास हो। ये सब चीज एक निर्देशक अपनी हीरोइन में देखते थे।

निर्देशक के कई सवालों के जवाब देने पड़ते थे
उस दौर में फिल्मों में किसी भूमिका को पाना बिलकुल आसान नहीं होता था। लड़कियों को ऑडिशन के साथ-साथ निर्देशक के कई सवालों के जवाब देने पड़ते थे। एक साथ कई-कई लड़कियों के ऑडिशन होते थे जिसमें से निर्देशक किसी एक को अभिनेत्री को भूमिका के लिए चुनते थे।

निर्देशक के पैरामीटर पर खरा उतरना पड़ता था
कहने का मतलब की ऑडिशन के लिए पहुंची लड़कियों को निर्देशक के पैरामीटर पर खरा उतरना पड़ता था। जिसके लिए उन्हें निर्देशक जैसा कहता था उसी हिसाब से ऑडिशन देना पड़ता था।

देसी और वेस्टर्न दोनों लुक्स में होता था ऑडिशन
देसी और वेस्टर्न दोनों ही लुक्स में लड़कियों को ऑडिशन देना पड़ता हैं। 1951 में फिल्मों में भूमिका पाना कोई आसान काम नहीं था, इसके लिए लड़कियों को कई पड़ाव पार करने पड़ते थे।