
death of elephant
नई दिल्ली। कोरोना(Coronavirus) जैसी महामारी के बीच जहां एक ओर लोग अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए घरों के अंदर कैद है तो वहीं दूसरी ओर बेजुवान जानवर खाने की तलाश में सड़को पर निकल रहे है फिर चाहे बात आवारा सड़कों पर घूम रहे जानवरो की हो, या फिर जंगली जानवरो की।
ऐसा ही एक हादसा केरल में देखने को मिला जहां एक गर्भवती हथिनी जंगल से निकलकर शहर के बीच आ गई। लेकिन इस जानवर के साथ यहां के लोग बड़ी ही बर्बरता के साथ पेश आए और उसे मौत के घाट उतार दिया।
बता दें कि ये घटना पिछले हफ्ते की है। जहां खाने की तलाश में यह हथिनी मल्लापुरम जिले (Mallapuram district)में जंगल से शहर की ओर आ गई थी। यहां के कुछ लोगों ने उसे फलों के भीतर पटाखे छिपाकर खिला दिए।
इस हाथिनी ने इंसानों का विश्वास कर उन फलों को खा लिया, जिसके बाद से उसके मुंह के भीतर जाकर बम फट गया। जिससे उसका पूरा मुंह जल गया। दर्द से तड़फती हाथिनी इधर उधर भागने लगी। लेकिन उसके दर्द को देख यहां के इंसानों का दिल तक नही पसीजा। जब हाथिनी अपने बेतहाशा दर्द से परेशान हो गई, तब पास की ही एक नदी में जाकर अपनी सूंड को पानी के अंदर डालकर कुछ आराम दिलाने की कोशिश की।
लेकिन इस बेजुबान हाथिनी को इतना असहनीय दर्द होने के बाद भी इसने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया,नाही किसी पर हमला किया। 27 मई की शाम को हथिनी (Death of Elephant)ने पानी में खड़े-खड़े तड़प-तड़पकर अपनी जान दे दी।
जगंली जानवर के साथ हुई इस निर्दयी हत्या को देख कुछ लोगों ने इस पर अपना गुस्सा जताया। इन्ही के बीच बॉलीवुड की कुछ एक्ट्रेस ने भी इस घटना की घोर निंदा की।
श्रद्धा कपूर ने इस घटना पर गुस्सा जाहिर करते हुए ट्वीट किया है, 'ऐसा कैसे हो सकता है ? क्या इन लोगों के पास दिल नहीं हैं ? मेरा दिल टूट कर बिखर गया है। अपराधियों को कठोर तरीके से दंडित करने की आवश्यकता है।'
सुनील शेट्टी की बेटी अथिया शेट्टी भी इस घटना से बेहद नाराज हैं। उन्होंने ट्वीट किया है, 'यह बहुत बर्बर है। किसी का भी ऐसा करने का दिल कैसे कर सकता है? बहुत घृणित, मुझे आशा है कि कार्रवाई की गई है।'
इस घटना से बहुत ज्यादा दुखी वन अधिकारी मोहन कृष्णन ने पूरी दास्तां को साझा किया। उन्होंने लिखा, ' एक जानवर होकर उसने इंसानों पर विश्वास किया। जब उसे यहां को लोगो ने फल खिलाया, तो उसे नही पता था कि लोग उसे मारने के लिए यह खतरनाक तरीका अपना रहे हैं। पटाखे के फट जाने से उसका मुंह और जीभ बुरी तरह से चोटिल हो गए थे। भीषण दर्द में भी उसने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। आखिरकार वो वेलियार नदी में आकर खड़ी हो गई। वन विभाग ने जब उसे बाहर निकालने की कोशिश की, तो उसने बाहर आने से ही मना कर दिया, शायद उसे अंदाजा हो गया था कि अब उसके मरने का समय नजदीक है। मोहन कृष्णन ने बताया कि उसे सम्मानजनक विदाई देने के लिए हमने एक ट्रक मंगवाया। हमने उसे उसी जंगल में हमने अंतिम विदाई दी, जहां उसका बचपन बीता और वो बड़ी हुई।
Updated on:
03 Jun 2020 08:36 am
Published on:
03 Jun 2020 08:29 am
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