scriptपहली पत्नी को इस वजह से छोड़ने को राजी नहीं थे जावेद अख्तर, ऐसे हुई शबाना आजमी से शादी | Javed Akhtar was not ready to leave the first wife because of this | Patrika News

पहली पत्नी को इस वजह से छोड़ने को राजी नहीं थे जावेद अख्तर, ऐसे हुई शबाना आजमी से शादी

locationनई दिल्लीPublished: Sep 18, 2019 11:26:53 am

Submitted by:

Pratibha Tripathi

shabana azmi birthday special: शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी से लिखने की कला सीखने आते थे जावेद अख्तर
अपने बच्चों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे जावेद

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नई दिल्ली: 5बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित अभिनेत्री शबाना आजमी 18 सितंबर को अपना बर्थडे मनाती हैं। शबाना आजमी ने जब बॉलीवु़ड में कदम रखा था, तब ग्लैमरस एक्ट्रेस की भीड़ हुआ करती थी। शबाना आजमी ने बॉलीवुड में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई।
शबाना जितनी पॉपुलर अपनी फिल्मों के लिए रहीं, उनकी पर्सनल लाइफ ने भी उतनी ही सुर्खियां बटोरी थीं। शबाना आजमी का नाम जावेद अख्तर से पहले फिल्म मेकर शेखर कपूर के साथ भी जुड़ा था, लेकिन ये महज एक अफवाह निकली थी। लेकिन जावेद अख्तर के साथ उनका प्यार किसी फिल्मी लव स्टोरी से कम नहीं है। जावेद अख्तर साल 1970 में शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी से लिखने की कला सीखते थे। जावेद अख्तर और शबाना आजमी के बीच इसी दौरान नजदीकियां बढ़ीं। दोनों के बीच अफेयर की भनक मीडिया को भी लग गई।
जावेद अख्तर पहले से ही शादीशुदा थे, जिस वजह से शबाना आजमी के परिवार वाले इस संबंध के खिलाफ थे। जावेद अख्तर की पहली शादी हनी से हुई थी। हनी, जावेद से 10 साल छोटी थीं। उनके दो बच्चे जोया अख्तर और फरहान अख्तर हैं। शबाना आजमी को लेकर आए दिन जावेद अख्तर और हनी के बीच खटपट होने लगी। बच्चों के कारण जावेद, हनी को छोड़ना नहीं चाहते थे। रोज-रोज घर में झगड़े होते देख हनी ने जावेद को शबाना के पास जाने की इजाजत दे दी। उन्होंने जावेद से कहा कि वो शबाना के पास जाएं और बच्चों की चिंता ना करें। तब जावेद ने हनी को तलाक दे दिया।
लेकिन राह अभी भी आसान नहीं थी। जावेद ने तो हनी को तलाक दे दिया था, लेकिन शबाना के पिता को लगता था कि उनकी बेटी की वजह से दोनों का तलाक हुआ है। उसके बाद जब शबाना ने कैफी साहब को इस बात का यकीन दिलाया कि जावेद अख्तर की शादी उनकी वजह से नहीं टूटी। तब जाकर कैफी साहब माने।
बता दें कि शबाना आजमी को 1975 में फिल्म अंकुर के लिए, 1983 में ‘अर्थ’, 1984 में ‘खंडहर’, 1985 में ‘पार’ और 1999 में फिल्म ‘गॉडमदर’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है।

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