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कभी मस्जिद में भिखारी तो, कभी कॉलेज में प्रोफेसर रहा है ये दिग्गज कलाकार

बॉलीवुड में मुकाम बनाना किसी भी व्यक्ति के लिए आसान नहीं हैं। लेकिन जब आपके पास अभिनय का हुनर हो तो आपको काम करने से कोई नहीं रोक सकता। बॉलीवुड में संघर्ष की कहानियां भरी पड़ी हैं। इन्हीं में से एक दास्तान हम आपके लिए लायें हैं।

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अभिनेता कादर खान को बॉलीवुड में उनके शानदार अभिनय के लिए याद किया जाता है। उन्होनें ने हर तरह के किरदारों को निभाया है। अपने करियर के शुरूआती दौर में उन्होनें विलेन के किरदारों को निभाया जहां उन्हें बेहद पसंद किया गया। वहीं 2000 के दशक की शुरुआत में उन्हें अभिनेता गोविंदा को साथ एक बाद एक कई कॉमिक रोल्स में देखा गया। जिसमें में दर्शकों हंसाने में कामयाब रहे।

कादर खान ने अपना एक्टिंग डेब्यू ‘दाग’ मूवी से किया। यह फिल्म 1973 में रिलीज हुई। इसके बाद कादर खान ने 300 से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। 44 साल के अपने करियर में उन्होनें एक्टिंग के अलावा निर्देशक, प्रोडक्शन, स्क्रिप्ट राइटर काम किया।

कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को काबुल में हुआ। कादर खान के मुबंई आने के पीछे भी एक कारण है। कादर खान से पहले उनकी मां तीन बच्चों को जन्म दिया। लेकिन किसी कारणवश इस दुनिया में ज्यादा दिनों तक नहीं जी सके। कादर के जन्म के बाद उनकी मां ने उनके पिता से कहा कि काबुल की यह धरती हमारे लिए अच्छी नहीं हैं। इसके बाद जैसे तैसे कादर के पिता को मना कर उनकी मां परिवार सहित मुबंई में बस गए।

जब कादर एक साल के थे तब उनके माता पिता का तलाक हो गया। इसके कुछ सालों बाद ही जब कादर बड़े हुए तो बाहर डोंगरी में एक मस्जिद के बाहर भीख मांगकर अपना पेट भरते थे। जब कादर थोड़े और बड़े हुए तो उन्होनें काम करना शुरू कर दिया। कहा यह भी जाता है कि कादर खान संगीत का रियाज करने कब्रिस्तान जाया करते थे।

एक्टिंग के लिए कादर खान का लगाव कॉलेज के दिनों से था। वह कॉलेज में नाटकों में भाग लिया करते थे। इसके अलावा वे सिद्दिकी कॉलेज में बतौर प्रोफेसर भी कार्यरत रहे।

एक बार कॉलेज के एक एनुअल फंक्शन के दौरान कादर ने एक प्ले में हिस्सा लिया। इस एक्ट में उनके अभिनय की बेहद तारीफ हुई। उनके एक्टिंग के चर्चे दिवंगत अभिनेता दिलीप कुमार तक भी पहुंचे। उन्होनें भी कादर खान के प्ले को देखने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद प्ले का आयोजन किया गया। और कादर खान दिलीप साहब का दिल जीतने में कामयाब रहे। जिसके बाद उन्हें दिलीप साहब ने पहला ब्रेक दिया।