कई साल की गई थी रिसर्च
निर्माता-निर्देशक तबरेज नूरानी ने ‘लव सोनिया’ से पहली बार निर्देशन में कदम रखा है। इसकी कहानी ह्यूमन ट्रेफीकिंग से जुड़ी सच्ची घटनाओं पर आधारित है, जो 7-8 साल की रिसर्च के बाद बनी है। पूरी रिसर्च में तबरेज का अहम योगदान है। पिछले 2 सालों में यह फिल्म बहुत सारे नेशनल और इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई है, जहां इसे काफी सराहा गया। इस फिल्म में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि जब कोई इस व्यापार को चुनता है तो क्यों चुनता है। इसके पीछे उसकी क्या मजबूरी है। वह अपने आप से इस व्यवसाय को चुनता है या फिर उसे जबरन इसमें ढकेला जाता है। इस में यह भी दिखाया गया है कि भारत में रोजाना लगभग 270 महिलाएं और लड़कियां गायब होती हैं। जो कहीं ना कहीं ह्यूमन ट्रैफिकिंग के तहत फंसी होती हैं।
कहानी
फिल्म ‘लव सोनिया’ की कहानी की शुरुआत कर्ज के बोझ तले दबे किसान के घर से शुरू होती है। किसान शिवा (आदिल हुसैन) अपने कर्ज का निपटारा करने के लिए दादा ठाकुर (अनुपम खेर) के साथ ह्यूमन ट्रैफिकिंग के तहत अपनी बेटी प्रीति का सौदा कर देता है। सोनिया को जब बहन प्रीति के बारे में पता चलता है, तो वह उसे खोजने लिए देह व्यापार की घिनौनी दुनिया में प्रवेश कर जाती है। यहां बहन को बचाने के बजाय वह भी उसी जाल में फंस जाती है। इसके बाद सोशल वर्कर मनीष (राजकुमार राव) सोनिया (मृणाल ठाकुर) को बचाने के लिए जान की बाजी लगा देता है। तो इसके आगे की कहानी को जानने के लिए आपको कि इसके अंत में क्या होता है वे दोनों बहनें बच पाती हैं या नही। इसको जानने के लिए और फिल्म की कहानी को पूरी तरह से जानने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख लेना होगा।