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मौनी रॉय ने भगवद गीता के बारे में कही बड़ी बात

मौनी रॉय पिछले डेढ़ साल से ले रही हैं भगवद गीता की क्लास मौनी ने भगवद गीता को स्कूल सिलेबस में शामिल करने की बात कही

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Mouni Roy Bhagwad Geeta

नई दिल्ली: बॉलीवुड सेलेब्स को आपने कम ही मौकों पर भगवद गीता के बारे में बात करते हुए सुना होगा। लेकिन एक्ट्रेस मौनी रॉय ने हाल ही में भगवद गीता को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि इसे स्कूल सिलेबस में शामिल करना चाहिए। दरअसल, मौनी ने एक इंटरव्यू में गीता के बारे में अपनी बात रखी। इन दिनों वह इसकी ऑनलाइन क्लास ले रही हैं। मौनी ने कई बार सोशल मीडिया पर भगवद गीता पढ़ते हुए अपनी तस्वीरें भी शेयर की हैं।

फल की चिंता मत करो
अब अपने नए म्यूजिक वीडियो 'पतली कमरिया' के प्रमोशन के दौरान मौनी ने एक न्यूज वेबसाइट से भगवद गीता को लेकर बात की। उन्होंने कहा, 'मैं पिछले डेढ़ साल से भगवद गीता की क्लास अटेंड कर रही हूं। कल भी मेरी इसकी अगली क्लास है। गीता में लिखा है कि कर्मण्ये वाधिका रस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि। कर्म करने के बाद जब आप उसकी फल की चिंता नहीं करते हैं तो उसका बोझ नहीं रहता है। मैं भी आजकल यही प्रयास कर रही हूं। जिसके बाद मैंने समझा है कि कर्म करो लेकिन उसके फल की चिंता मत करो। भगवान श्रीकृष्ण की कहीं ये बातें आज भी बहुत महत्वपूर्ण हैं।'

लॉकडाउन में मिला वक्त
मौनी ने आगे कहा, 'मैंने जब भगवद गीता का सार बचपन में पढ़ा था तो मैं इसे अच्छे से समझ नहीं पाई थी। लेकिन अब एक बार फिर मैं इसे जुड़ी हूं। मैं ऑनलाइन क्लासेस लेती हूं। लॉकडाउन में काफी मदद मिली है। पहले शूटिंग में बिजी होने की वजह से टाइम नहीं दे पाती थी लेकिन लॉकडाउन में मुझे गीता को पढ़ने और समझने का काफी टाइम मिला।'

यह जीवन का सार है
उसके बाद मौनी कहती हैं, 'भगवद गीता पढ़ते हुए मैं काफी धार्मिक हो गई हूं। यह एक किताब नहीं बल्कि जीवन का सार है। इसलिए मेरा मानना है कि इस महान किताब को स्कूल के पाठ्यक्रम में ज़रूर से शामिल करना चाहिए। आपके हर सवाल का सटीक जवाब गीता में मिल जाएगा।'

कहां पढ़ाई जाती है भगवद गीता
मेरठ के स्कूल में भगवद गीता पढ़ाई जाती है। मेरठ में जागृति विहार के बीडीएस स्कूल में क्लास तीन से आठवीं तक भगवद गीता को शामिल किया गया है। इसकी क्लास में गीता के उन श्लोकों के बारे में पढ़ाया जाता है, जिसमें संस्कार, कर्म और नैतिक शिक्षा का ज्ञान मिलता है। इतना ही नहीं, इसकी परीक्षा भी होती है। यहां पहले तीसरी क्लास तक गीता को सिलेबस के तौर पर रखा गया। रिजल्ट अच्छा आया तो आठवीं क्लास तक अनिवार्य कर दिया गया। स्कूल में मौजूद हर धर्म का छात्र गीता को पढ़ता है। मुस्लिम बच्चे भी बड़े शौक से गीता को पढ़ते हैं। बता दें कि संसद में भी गीता को स्कूल में सिलेबस बनाए जाने की मांग उठ चुकी है।