अनिल शर्मा ने की पुष्टि
श्रवण के निधन पर निर्देशक अनिल शर्मा ने ट्वीट कर लिखा,’बहुत दुख हुआ… अभी पता चला कि महान संगीत निर्देशक श्रवण हमें छोड़कर चले गए…. कोविड के कारण। मेरे बहुत अच्छे मित्र और सहकर्मी थे। हमने महाराजा में उनके साथ काम किया। उनके परिवार के लिए मेरी संवेदना। वे हमेशा हमारे दिल में रहेंगे।’ श्रवण राठौड़ के बेटे संजीव राठौड़ ने हाल ही बताया था कि गंभीर हालत में उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। संगीतकार के करीबी मित्र समीर के अनुसार श्रवण को डायबिटीज थी और कोरोना संक्रमण के चलते उनके फेफड़े प्रभावित हुए थे।
(Photo Credit: Instagram/nadeemsaifiofficial/)
ऐसे साथ काम करना हुआ बंद
नदीम-श्रवण की जोड़ी एक के बाद एक हिट संगीत दे रही थी और इसी बीच टीसीरीज के मालिक गुलशन कुमार की दिनदहाड़े हत्या हो गई। इस मामले में नदीम सैफी का नाम भी सामने आया। इसके बाद नदीम ने भारत छोड़ दिया और विदेश भाग गए। साल 2002 में एक भारतीय कोर्ट ने नदीम पर हत्या का मामला तो बंद कर दिया गया, लेकिन गिरफ्तारी वारंट वापस नहीं लिया गया। लम्बे समय तक श्रवण ने अपनी जोड़ी के नाम से ही संगीत दिया, भले ही नदीम विदेश में रह रहें हों। इस जोड़ी ने आखिरी बार 2005 में रिलीज फिल्म ’दोस्तीःफ्रैंड्स फॉरएवर’ में संगीत दिया था। दोनों ने साथ मिलकर पहली बार 1977 में भोजपुरी फिल्म ’दंगल’ में संगीत दिया। उसके बाद हिन्दी फिल्म ’जीना सीख लिया’ के लिए पहली बार म्यूजिक कंपोज किया।
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90 के दशक में इनके संगीत ने मचाई धूम
90 के दशक में इस जोड़ी ने कमाल का संगीत दिया और कई फिल्में गानों के चलते हिट हुईं। इनमें साजन, दिल है कि मानता नहीं, दीवाना, सड़क, फूल और कांटे, साथी, राजा हिन्दुस्तानी, जान तेरे नाम, राज, परदेस और आशिकी जैसी फिल्मों का संगीत था। 2000 के दशक में भी कुछ फिल्मों में इस जोड़ी के संगीत ने कमाल दिखाना जारी रखा। इनमें ये दिल है आशिकाना, कयामत, दिल है तुम्हारा, राज, बरसात और बेवफा जैसी फिल्मों का संगीत शामिल है। इन फिल्मों के गाने आज भी लोगों की जुबान पर हैं। संगीत प्रतियोगिताओं और संगीत कार्यक्रमों में आज भी इन गानों पर प्रस्तुतियां दी जाती हैं।