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फिल्म इंडस्ट्री पर लोगों का फूटा गुस्सा, कहा- कंटेंट की कमी…

मशहूर निर्देशक संजय गुप्ता ने रविवार को फिल्म इंडस्ट्री की स्थिति पर असंतोष व्यक्त किया। उनका कहना है कि फिल्म इंडस्ट्री अब दो ओटीटी प्लेटफॉर्मों की दया पर निर्भर है।

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मुंबई

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Saurabh Mall

Dec 29, 2024

संजय गुप्ता ने किसी का नाम लेने से परहेज किया है। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "मैंने किशोरावस्था से ही फिल्म इंडस्ट्री में काम करना शुरू किया था। तीस साल से निर्देशक के रूप में काम कर रहा हूं। मैंने कभी नहीं सोचा था और न ही उम्मीद की थी कि पूरा सिस्टम इस तरह से ढह जाएगा और दो ओटीटी प्लेटफॉर्म की दया पर निर्भर हो जाएगा। सचमुच।"

फिल्म इंडस्ट्री पर भड़के यूजर्स

कई यूजर्स ने निर्देशक के पोस्ट के रिप्लाई में कहा कि इंडस्ट्री को वापस ड्राइंग बोर्ड पर जाने की जरूरत है। एक यूजर ने कमेंट किया, "यह ओटीटी नहीं है, बल्कि कोविड है जिसने कई उद्योगों को नया रूप दिया है और सिनेमा उद्योग उनमें से एक है। ओटीटी ने उस मौके का फायदा उठाया जो सिनेमा उद्योग कोविड के दौरान प्रदान नहीं कर सका। यह निर्माताओं और निर्देशकों की विफलता है जो दर्शकों को सिनेमाघरों में वापस नहीं ला सके। समस्या यह है कि बॉलीवुड तकनीकी मूल्य आधारित फिल्मों की तुलना में फॉर्मूला आधारित फिल्मों पर अधिक फोकस कर रहा है।

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तेलुगु फिल्में अभी भी दर्शकों को सिनेमाघरों में खींचने में सक्षम हैं। आरआरआर, पुष्पा, हनुमान और दूसरी फिल्मों को देखें। इसके अलावा पीवीआर/आईएनओएक्स और उनके महंगे पॉपकॉर्न को भी दोषी ठहराइए। एक छोटे से चार सदस्यीय परिवार को एक फिल्म देखने के लिए 2000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। उन निर्माताओं को दोष दें जो कुछ फिल्मों के लिए टिकट की कीमत दोगुनी, तिगुनी कर देते हैं। इसलिए दूसरों को दोष देने से पहले आत्मावलोकन करें।"

बदलाव ही एकमात्र स्थिरता है: यूजर

एक अन्य यूजर ने कहा, "इसे विघटनकारी परिवर्तन (डिसरप्टिव चेंज) कहा जाता है, उसी तरह जैसे फिल्म निर्माताओं को मल्टीप्लेक्स से ज्यादा स्क्रीन मिल गई, जबकि हजारों सिंगल स्क्रीन थिएटर इस वजह से बंद हो गए। बदलाव ही एकमात्र स्थिरता है।"

एक और अन्य यूजर ने लिखा, "यह गिरावट ओटीटी की वजह से नहीं है, बल्कि अच्छे मनोरंजक कंटेंट की कमी की वजह से है। दशकों से बॉलीवुड प्रोपेगेंडा या कुछ औसत दर्जे की एक्शन मूवी पर आधारित फिल्में बना रहा था। लोगों को क्षेत्रीय सिनेमा और ओटीटी में बेहतर मनोरंजन मिलता है। प्रोपेगेंडा छोड़ो और मनोरंजन बनाना शुरू करो।"

संजय गुप्ता अमेरिकी एक्शन-थ्रिलर और क्राइम फिल्मों के रीमेक केलिए जाने जाते हैं। उन्होंने अक्सर अपनी फिल्मों में संजय दत्त और जॉन अब्राहम को कास्ट किया है।