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कभी साइकिल से कैसेट्स बेचते थे मधुर भंडाकर, जिस FTII में नहीं मिला था एडमिशन, उसी में बनकर पहुंच गए जज

मधुर ने बताया था कि मेरा सपना था कि मैं FTII जाऊं और वहां से कोर्स करूं, कोशिश भी की। लेकिन मैं ग्रेजुएट नहीं था। टेक्निकल स्किल्स की वजह से मैं पीछे रह गया था। कंप्यूटर चलाना भी नहीं आता था मुझे, आज भी नहीं आता।

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Priyanka Chopra Fashion film Director Madhur Bhandarkar struggle story

Director Madhur Bhandarkar

नई दिल्ली: ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘फैशन’ के डायरेक्टर मधुर भंडारकर (Fashion film Director Madhur Bhandarkar) को आज किसी पहचान की जरूरत नहीं है। आज उनकी गिनती बॉलीवुड के सर्वश्रेष्ठ डायरेक्टर्स (Best Director of Bollywood) में होती है। लेकिन कभी मधुर भंडारकर को अपने करियर के शुरुआती सालों में काफी स्ट्रगल करना पड़ा था। उन्होंने जीने के लिए तमाम छोटे-बड़े काम किये, पर कभी अपने लक्ष्य को नहीं भूले। आज वो जिस मुकाम पर हैं उसका कारण सिर्फ उनकी मेहनत और लगन है।

इंटरव्यू में बताई थी अपनी स्ट्रगल स्टोरी

एक इंटरव्यू में खुद मधुर ने इस बारे में बताया था कि मैं मिडिल क्लास फैमिली से था। परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर था। जिसके चलते वो छठीं के बाद पढ़ाई नहीं कर पाए। मधुर बताया था कि मैरी पढ़ाई ज्यादा हुई, मैं ग्रेजुएट नहीं था। ऐसे में परिस्थिती ऐसी आई कि मुझे खुद वीडियो कैसेट्स का बिजनेस करना पड़ा। उस दौरान में साइकिल से कैसेट्स घरों में देने जाता था, लेकिन ऐसा वक्त भी आया जब ये काम भी ठप पड़ गया।

मेरा सपना था कि मैं FTII जाऊं

मधुर ने बताया था कि मेरा सपना था कि मैं FTII जाऊं और वहां से कोर्स करूं, कोशिश भी की। लेकिन मैं ग्रेजुएट नहीं था। टेक्निकल स्किल्स की वजह से मैं पीछे रह गया था। कंप्यूटर चलाना भी नहीं आता था मुझे, आज भी नहीं आता।

उन्होंने आगे बताया था कि ऐसे में मुझे लगा कि मैं डायरेक्टर बनना चाहता हूं। जिसके बाद मैंने कई छोटे मोटे फिल्म डायरेक्टर्स को जॉइन किया और उन्हें असिस्ट किया। तो वहां मुझे 30 रुपए मिल जाते थे। कन्वेंस में काम मिलता था। हमको बुलाया जाता था कि आ जाओ, तो हम वहां पर एक्टर के पीछे सेंडल पकड़ कर खड़े हो जाते थे, कभी पोछा मार दिया तो कभी लाइट पकड़कर खड़े हो गए। थर्माकोल लेकर खड़े हो गए, एक्टर को जाकर बुलाओ रूम से… ये चीजें करीं।

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जज बनकर पैनल में पहुंच गया

मधुर ने बताया था कि- ग्रेजुएट नहीं होने के कारण में मुझे FTII में एडमिशन नहीं मिला था। लेकिन मैं एक दिन जज बनकर पैनल में पहुंच गया। मेरे ख्याल से हमेशा पैशन, काबिलियत, काम अपने आप में होता है। अगर आपको लगता है कि आप वो कर पाओगे, आपमें वो जज्बा है, जुनून है तो वो हो सकता है। मुझे इस बात की खुशी होती है कि मैंने खुद को इतने अच्छी तरह से खड़ा किया। कभी कभी सही टाइम और सही मेहनत रंग ले आती है।

मधुर ने बताया था कि जब मैं अपने आप को पीछे मुड़कर देखता हूं, मुझे बहुत बुरा लगता था और अभी भी लगता है। लेकिन मैं यूथ से कहता हूं कि ये मत सोचो कि मधुर भंडारकर ने पढ़ाई नहीं की, फिर भी वो द मधुर भंडारकर बन गया। मैं चाहूंगा कि आप पढ़ें और आगे बढ़ें।

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