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जब अचानक हवा में उड़ने लगी राज कपूर की टैक्सी, सच्चाई जानकर हो गए थे हक्के बक्के

राज कपूर फिल्म इंडस्ट्री का वो नाम थे, जिनके पीछे हर कोई दीवाना था। राज कपूर की दीवानगी ऐसी थी कि न सिर्फ़ भारत बल्कि रूस तक उनके हुनर का कायल था।

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Archana Keshri

Feb 20, 2022

जब अचानक हवा में उड़ने लगी राज कपूर की टैक्सी, सच्चाई जानकर हो गए थे हक्के बक्के

जब अचानक हवा में उड़ने लगी राज कपूर की टैक्सी, सच्चाई जानकर हो गए थे हक्के बक्के

राज कपूर को हिंदी सिनेमा जगत का शौमेन कहा जाता है। राज कपूर ने बॉलीवुड को तमाम हिट और यादगार फिल्में दी है। वह जितना फिल्मों के लिए मशहूर हुआ करते थे उतने ही अपनी लुक्स की वजह से। उनके फैंस की तादाद भारत के अलावा विदेशों में भी बहुत ज्यादा थी। चलिए आज हम आपको राज कपूर और उनके फैंस से जुड़ा एक रोचक किस्सा बताते हैं।

साल 1955 में रूस में राज कपूर की मशहूर फिल्म 'श्री 420' रिलीज हुई। किसी को उम्मीद नहीं थी कि ये फिल्म वहां धूम मचा देगी। रूसी लोगों को ये देखकर बहुत ख़ुशी हुई कि कोई इंसान अपने रिश्तों के लिए कितना कुछ कर सकता है। राज कपूर के ऑन-स्क्रीन रोमांस, गानों और फिल्म के आखिर में मिले 'अच्छाई की जीत' वाले संदेश ने दर्शकों का दिल जीत लिया था। रातों-रात वो रूस के लिए एक स्टार बन चुके थे।


मगर उनकी फिल्म 'आवारा' ने उन्हें रूस में वो शौहरत दिलाई जो आज तक किसी और बॉलीवुड स्टार को वहां नहीं मिली। फिल्म का गाना 'मेरा जूता है जापानी' वहां पर काफी प्रसिद्ध हुआ। गाना रूसियों को इतना बढ़िया लगा कि बच्चे, बड़े और बूढ़े ही नहीं सरकारी लोग भी इसके दीवाने हो गए। हालांकि, इस गाने के प्रसिद्ध होने के पीछे दो वजह थीं। पहली वजह थी राज कपूर के प्रति रूस के लोगों का प्यार. राज कपूर की फिल्मों के गाने वहाँ हर किसी की जुबान पर होते थे।


वहीं दूसरी वजह थी कि अनजाने में ही सही पर उनके इस गाने ने रूस को जापान से ऊपर बताया था। दरअसल, गाने के जो बोल हैं जैसे: "मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंगलिश्तानी, सर पे लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी"। इसमें जापनी जूते को पैरों में बताया गया और रूसी टोपी को सिर पर रखा गया. उस समय जापान और रूस के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे। ऐसे में जब रूस ने देखा कि राज कपूर ने अपने गाने में जापान को नीचे बताया है तो सब ने उन्हें कॉमरेड मान लिया।


हालांकि, राज कपूर का कहीं भी किसी देश को नीचा दिखाने का अंदेशा नहीं था पर परिस्थितियों के आगे वो भी हार गए। उस दिन से राज कपूर रूस सरकार के भी पसंदीदा कलाकार बन गए।


1960 के दौरान राज कपूर 'मेरा नाम जोकर' बनाने जा रहे थे। उन्हें फिल्म में रूसी सर्कस के लोग चाहिए थे जिसके लिए उन्हें मॉस्को जाना था। 'मेरा नाम जोकर' के लिए रशियन सर्कस से बात कर रहे थे। उस समय राज कपूर लंदन में थे और बिना वीज़ा के ही वो मास्को पहुंच गए। बिना किसी पूर्व सूचना के वो वहां पहुंचे थे, इसलिए उनके स्वागत के लिए कोई नहीं था।

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फिर राज कपूर एयरपोर्ट से बाहर निकले और उन्होंने टैक्सी ले ली। अचानक राज कपूर का ध्यान गया कि उनकी टैक्सी जमीन पर चलने की बजाय हवा चल रही है। राज कपूर हैरान थे कि ऐसा कैसे हो रहा है, लेकिन जब सच्चाई सामने आई, तो वो हक्के बक्के रह गए। राज कपूर के फैन्स ने उनकी टैक्सी को अपने कंधे पर उठा लिया था। रूस के लोग उन्हें इतना पसंद करते थे कि इस तरह उनका स्वागत किया।

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