
Raj Kapoor
नई दिल्ली: बॉलीवुड के शोमेन राज कपूर (Raj Kapoor) का हिंदी सिनेमा में अतुलनीय योगदान रहा है। राज कपूर अपनी फिल्मों में उनकी जिंदगी से जुड़े किस्सें, घटनाएं दिखाने के लिए जाने जाते थे। वहीं, उनकी फिल्मों का गीत संगीत भी शानदार होता था, जो लोकप्रिय हो जाता था। ऐसे में आज हम राज कपूर के गानों से जुड़ी दिलचस्प बात बता रहे हैं।
दरअसल राज कपूर अपनी फिल्म में गानों का चुनाव किन्नरों की मंजूरी लेने के बाद ही करते थे। वो पहले उन्हें गाने सुनाते, अगर पसंद आता तब ही गाना फिल्म में लिया जाता था, नहीं तो निकाल दिया जाता था।
हर होली के दिन मिलने आते थे
फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि हर होली के दिन शाम 4 बजे राज कपूर से मिलने किन्नर आया करते थे। वो लोग आरके स्टूडियो में उनके सामने रंग उड़ाते, रंग लगाते और उन्हें भी अपने साथ नचवाते थे। इसी दौरान राज कपूर अपनी नई फिल्मों के गीत उन्हें सुनाते थे और उनसे मंजूरी लेते थे। मंजूरी मिलने के बाद ही उसे फिल्म में रखते था।
एक नया गीत बनाने को कहा
इसी तरह एक होली पर किन्नरों ने 'राम तेरी गंगा मैली' के एक गाने को नापसंद कर दिया और उस गाने को फिल्म से निकाल देने के लिए कहा था। जयप्रकाश चौकसे ने बताया था कि राज कपूर ने उसी वक्त उस गाने को हदवाने के लिए कवि। इसके साथ ही रविंद्र जैन को बुलाया और उन्हें एक नया गीत बनाने को कहा।
तब ‘सुन साहिबा सुन’ बनकर तैयार हुआ और किन्नरों को बहुत पसंद आया। उन्होंने राज कपूर से कहा कि देखना ये गीत सालों चलेगा और ऐसा ही हुआ। राज कपूर काफी अंधविश्वासी थे। जिसके कारण वो ऐसा करते थे।
फिल्मों के लिए पूरी तरह समर्पित थे राज
आपको बता दें कि राज कपूर अपनी फिल्मों के लिए पूरी तरह समर्पित थे। मेरा नाम जोकर उनकी बेहतरीन फिल्मों में से एक मानी जाती है लेकिन जब ये रिलीज हुई तो बुरी तरह फ्लॉप रही थी। इस फिल्म को बनाने में राज कपूर को 6 साल लगे थे और जिसके कारण वो बुरी तरह से कर्ज में डूब गए थे।
Updated on:
06 Nov 2021 04:28 pm
Published on:
06 Nov 2021 04:23 pm
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