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जब अटल के सामने इंदिरा की ‘बॉबी’ हुई फ्लॉप, सिनेमा छोड़ रैली में कूद पड़ी थी जनता

locationनई दिल्लीPublished: Nov 06, 2021 03:40:33 pm

Submitted by:

Archana Pandey

बात 1977 की है दिल्ली के रामलीला मैदान में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ भाजपा की रैली थी। इस रैली में वाजपेयी की स्पीच भी थी।

Gov show film Bobby to control audience in Atal Bihari Vajpayee rally

Indra Gandhi and Atal Bihari

नई दिल्ली। Gov shown film Bobby to control audience in Atal Bihari Vajpayee rally: अटल बिहारी वाजपेयी का नाम लेते ही उनकी कवितायें और उनके तेवर याद आने लगते हैं। महान नेता अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) को भारतीय राजनीति का सबसे प्रभावशाली वक्‍ता कहा जाता है। वाजपेयी जी की शैली ऐसी थी कि विपक्षी नेता भी उनके कायल थे।
गांधी सरकार के खिलाफ भाजपा की रैली

बात 1977 की है दिल्ली के रामलीला मैदान में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार (Indra Gandhi Government) के खिलाफ भाजपा की रैली थी। इस रैली में वाजपेयी की स्पीच भी थी। “यह शायद वाजपेयी की विंटेज रैली का सबसे अच्छा उदाहरण था। हाड़ कंपा देने वाली सर्दी थी और बूंदा-बांदी भी हो रही थी। बावजूद इसके हजारों लोग वाजपेयी को सुनने के लिए रामलीला मैदान में जमा थे।
दिलचस्प बात यह थी कि इंदिरा सरकार ने उस दिन दूरदर्शन पर 1973 की सुपरहिट फिल्म ‘बॉबी’ का प्रसारण कराया था। ताकि लोग फिल्म देखने में व्यस्त रहें और वाजपेयी की रैली फ्लॉप हो जाए, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं हुआ।
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फेल रही सरकार की साजिश
भाजपा की रैली शाम 4 बजे शुरू हुई और अटलजी की बारी आते-आते रात के 9 बज गए, लेकिन मैदान में जमा काफिला किसी भी सूरत में उन्हें सुनना चाहता था। न तो जनता ने उस वक्त ठंड की परवाह की और न ही यह कि टीवी पर ‘बॉबी’ दिखाई जा रही है।
वाजपेयी ने पढ़ा था मिसरा
जैसे ही वाजपेयी बोलने के लिए खड़े हुए, वहां मौजूद हज़ारों लोग भी खड़े हो कर ताली बजाने लगे। उन्‍होंने तालियों को शांत किया और एक मिसरा पढ़ा, ‘बड़ी मुद्दत के बाद मिले हैं दीवाने, कहने सुनने को बहुत हैं अफ़साने।’ तालियों का दौर बहुत लंबा चला। शोर रुका तो वाजपेयी ने दो और पंक्तियां पढ़ीं, ‘खुली हवा में ज़रा सांस तो ले लें, कब तक रहेगी आज़ादी कौन जाने?’
कड़कड़ाती सर्दी और बूंदा-बांदी के बीच वाजपेयी को सुनने के लिए लोग खड़े रहे। सरकार को इसका अंदाजा था कि वाजपेयी की रैली में भारी संख्‍या में लोग पहुंचेंगे ऐसे में सरकार ने साजिश करते हुए दूरदर्शन पर 1973 की सबसे हिट फ़िल्म ‘बॉबी’ दिखाने का फैसला किया था।
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बॉबी फ‍िल्‍म पर भी वाजपेयी पड़े थे भारी

सरकार रैली में जाने से लोगों को रोकना चाहती थी लेकिन बॉबी फ‍िल्‍म पर भी वाजपेयी भारी पड़े। वाजपेयी न केवल राजनेता बल्कि शानदार लेखक और कवि भी थे। उनका आलोचना करने का तरीका भी बेहद मधुर था और जीवन के अनुभव बताने का तरीका भी। आज भी उनके भाषण खूब सुने जाते हैं। उनकी कवितायें सोशल मीडिया पर खूब साझा की जाती हैं।
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