
Ramanand Sagar 'Ramayan'
नई दिल्ली | कोरोना वायरस में लगे लंबे लॉकडाउन ने लोगों को घर में कैद कर दिया था। ऐसे में लोगों की भारी डिमांड पर दूरदर्शन पर रामानंद सागर (Ramanand Sagar) की रामायण को फिर से प्रसारित किया गया। साथ ही रामायण के किरदारों की पॉपुलैरिटी भी बढ़ गई। रामायण (Ramayan) ने सबसे ज्यादा देखे जाने वाले शो में अपनी जगह बनाई और पिछले कई सालों के रिकॉर्ड भी तोड़ डाले। रामायण बनाने वाले रामानंद सागर आज जिंदा होते तो अपने सीरियल की सालों बाद भी वही लोकप्रियता देख गदगद हो जाते हैं। 29 दिसंबर 1917 में लाहौर में जन्मे रामानंद सागर का असली नाम चंद्रमौली था। उनका बचपन बहुत ही मुश्किलों से गुजरा था।
दरअसल, रामानंद सागर के दादा पेशावर से कश्मीर में रहने लगे थे। कुछ वक्त बाद वो नगर के सेठ बन गए लेकिन रामानंद की मुश्किलों की शुरुआत भी वहीं से हुई। जब रामानंद मात्र 5 साल के थे तब उनकी मां का निधन हो गया। उस दौरान रामानंद अनाथ हो गए लेकिन मामा उनका सहारा बने। वो निसंतान थे तो उन्होंने रामानंद को गोद ले लिया। रामानंद को मामा ने जरूर पनाह दी लेकिन उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा। हालांकि रामानंद को हमेशा से ही लिखने-पढ़ने को बहुत शौक था। उन्होंने किसी तरह अपनी पढ़ाई पूरी की और 16 की उम्र में प्रीतम प्रतीक्षा नाम की किताब भी लिख दी।
रामानंद अपनी पढ़ाई के लिए इधर-उधर का काम करके पैसे कमाते थे। यहां तक कि उन्होंने चपरासी का काम भी किया। साबुन बेचने से लेकर ट्रक साफ करने का काम भी किया। ऐसे काम करके ही रामानंद ने अपनी पढ़ाई पूरी की। रामानंद को लिखने का बहुत शौक था जो उनकी कहानियों में भी नजर आया। उन्होंने अपने जीवन का कठिन दौर और संघर्ष उसमें लिख डाला। रामानंद पंजाब के न्यूजपेपर डेली मिलाप के संपादक के तौर पर भी काम कर चुके हैं। रामानंद ने कुछ कहानियां, नाटक और 32 लघुकथाएं लिखीं।
हिंदी सिनेमा में उन्होंने फिल्म आंखें के लिए बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड जीता। राज कपूर की फिल्म बरसात भी उन्होंने ही लिखी थी। कई सालों तक काम करने के बाद रामानंद सागर ने कुछ अलग करने की सोची और साल 1987 में पौराणिक कथा पर धारावाहिक रामायण बनाया। ये सीरियल घर-घर में इतना मशहूर हुआ कि लोगों की जुबां पर रामानंद सागर का नाम बस गया।
Published on:
29 Dec 2020 06:05 pm
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