24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नाम और शौहरत होने के बाद भी पटौदी खानदान के चिराग सैफ अली खान को करना पड़ा था संघर्ष; यश चोपड़ा के साथ करना चाहते थे काम, लेकिन ऑडिशन से ही हो गए बाहर

अगर कहा जाए कि जाने-माने क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी और फेमस खूबसूरत एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर के बेटे सैफ अली खान को भी फिल्म इंडस्ट्री में आने के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ा था तो मानिए कि कोई भी बात पर यनीक नहीं करेगा, लेकिन ये बात एक दम सच है. सैफ अली खान बॉलीवुड जगत के एक बड़े फिल्म निर्देशक के साथ काम करना चाहते थे, लेकिन नाकाम रहे.

2 min read
Google source verification

image

Vandana Saini

Feb 23, 2022

saif_ali_khan.jpg

नाम और शौहरत होने के बाद भी पटौदी खानदान के चिराग सैफ अली खान को करना पड़ा था संघर्ष

आज के समय में बॉलीवुड की दुनिया को नेपोटिज्म का गढ़ माना जाता है, क्योंकि आज जितनी भी फिल्में रिलीज हो रही हैं, उसमें ज्यादा तर स्टार किड्स ही नजर आते हैं. ऐसे में अगर हम आपसे ये कहें कि जाने-माने क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी और फेमस खूबसूरत एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर के बेटे सैफ अली खान को भी फिल्म इंडस्ट्री में आने के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ा था तो इस बात को सच नहीं मानेगा, क्योंकि नाम और शौहरत होने के बाद भी पटौदी खानदान के चिराग सैफ अली खान को फिल्मी दुनिया में खुद को साबित करने के लिए संघर्ष करना पड़ा. ये सुनने में ही काफी अटपटा लगता है, लेकिन ये बात सच है.

सैफ अली खान का जन्म दिल्ली में 14 अगस्त 1970 को हुआ था. उनके पिता एक पिता मंसूर अली खान पटौदी एक मशहूर क्रिकेटर हैं, जिनको बेहतरीन कप्तान के तौर पर जाना जाता है और 1962 में उनको 'इंडियन क्रिकेटर ऑफ द इयर' का खिताब मिल चुका है. इसके अलावा वो पटौदी नवाब के तौर पर जाने जाते थे. वहीं अगर सैफी की मां शर्मिला टैगोर बॉलीवुड की मशहूर और बेहद खूबसूरत एक्ट्रेस थी, जिन्होंने 'कश्मीर की कली', 'आराधना' जैसी कई बड़ी फिल्मों में काम किया है. बताया जाता है कि एक बार तो सैफ अली खान यश चोपड़ा के स्टूडियो में फिल्म का ऑडिशन देने गए थे, लेकिन उनको ये रोल नहीं मिल पाया था.

खास बात ये है कि ये बात खुद सैफ अली खान ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान बताई थी. उन्होंने बताया था कि ‘एक बार वो यश चोपड़ा के पास ऑडिशन देने पहुंचे थे. वो अपने उस ऑडिशन को कभी नहीं भूल सकते. उन्होंने सैफ को कुछ लाइनें बोलने के लिए कहा था. आदि चोपड़ा ने एक बोर्ड पकड़ा हुआ था और उसे देखकर सैफ अली को उन लाइनों को बोलना था'. सैफी अली बताते हैं कि 'उस बोर्ड पर लिखा था कि ‘देवदास के अवतार, अब कोई दूसरा रोल पकड़ यार.’ वो आगे बताते हैं कि 'वो ये देखकर काफी घबरा भी गए थे, क्योंकि ऐसी लाइन और शब्द उन्होंने पहले कभी इस्तेमाल भी नहीं किए थे.’

इसके बाद सैफ अली खान आगे बताते हैं कि ‘उनका इंग्लिश एक्सेंट था तो उन्होंने उसे पढ़ा, जिसमें उन्होंने बोल 'देव साहब की औलाद'. सैफ बताते हैं कि उन्होंने ये सुनकर उनको रोका और कहा कि ये देव साहब नहीं, देवदास लिखा हुआ है. सैफ बताते हैं कि वहां का माहौल उस समय थोड़ा मजाकिया भी हो गया था, लेकिन जैसे उनको पहले ही पता था कि ये रोल उनको नहीं मिलेगा और ऐसा ही हुआ. सैफ अली बताते हैं कि 'वो एक अलग समय भी था, क्योंकि कोई भी उस समय अपने बच्चों को फिल्मों में भेजना नहीं चाहता था. उन्होंने इससे पहले भी कई ऐड में काम किया था. इसके बाद उनको फिल्म 'परंपरा', जो कि 1993 में रिलीज हुई थी में काम करने का मौका मिला'.