12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जब पति मंसूर अली की कब्र पर बैठी थीं शर्मिला टैगोर, तभी ओटोग्राफ लेने के लिए पहुंच गए फैन

टाइगर पटौदी के निधन के बाद उनके शव को पटौदी पैलेस में ही दफनाया गया था। ऐसे में शर्मिला अक्सर वहां जाया करती थीं। एक दिन वह अपने पति के कब्र के पास बैठी हुई थीं, तभी वहां कुछ लोग उनसे ऑटोग्राफ लेने के लिए आ गए।

2 min read
Google source verification
sharmila_tagore_1.jpg

Sharmila Tagore

नई दिल्ली। बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1959 में सत्यजीत रे की फिल्म 'अपुर संसार' से की थी। लेकिन उन्हें फिल्म 'कश्मीर की कली' ने असली पहचान दिलाई। इस फिल्म से उनका करियर बुलंदियों पर पहुंच गया था। एक्ट्रेस ने मशहूर क्रिकेटर और भारतीय टीम के कप्तान रहे मंसूर अली खान पटौदी से शादी की थी। दोनों की लव स्टोरी काफी दिलचस्प है। दोनों की मुलाकात शर्मिला के कोलकाता स्थित घर में हुई थी। दोनों ने 27 दिसंबर, 1969 को शादी की थी और साल 2011 में टाइगर पटौदी का निधन हो गया। एक बार शर्मिला उनके कब्र पर बैठी हुई थीं, तभी उनके पास कुछ लोग ऑटोग्राफ लेने आ गए।

पटौदी पैलेस में है टाइगर पटौदी की कब्र
दरअसल, टाइगर पटौदी के निधन के बाद उनके शव को पटौदी पैलेस में ही दफनाया गया था। ऐसे में शर्मिला अक्सर वहां जाया करती थीं। एक दिन वह अपने पति के कब्र के पास बैठी हुई थीं, तभी वहां कुछ लोग उनसे ऑटोग्राफ लेने के लिए आ गए। इस बारे में खुद शर्मिला ने रेडिफ डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में बताया था।

पति की कब्र पर ऑटोग्राफ लेने पहुंचे लोग
इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था कि क्या पटौदी पैलेस में टाइगर पटौदी की विरासत बसती है? इस पर शर्मिला ने कहा था, 'वहां टाइगर को दफनाया गया है। इसीलिए ही मैं वहां जाना पसंद करती हूं।' इसके बाद शर्मिला ने बताया कि टाइगर पटौदी के निधन के छह महीने बाद वह उनकी कब्र के पास बैठी हुई थीं। तभी एक आदमी और दो बच्चे उनके पास ऑटोग्राफ लेने के लिए आए। शर्मिला ने उन्हें मना कर दिया। जिसके बाद वो लोग वहां से चले गए। लेकिन कुछ देर बाद वो दोबारा आए। इस बार शर्मिला ने उनसे काफी खुश होकर बात की।

शर्मिला को पकड़ाया नोट
इसके बाद शर्मिला ने बताया, 'तभी बच्चों ने मुझे उनकी मां का दिया हुआ एक नोट दिया। जिसमें लिखा हुआ था, ‘मुझे उन लोगों के प्रति थोड़ी विनम्रता दिखानी चाहिए, जो उस चीज के लिए जिम्मेदार हैं जो मैं आज हूं।’ उनकी वो बात मुझे बहुत असंवेदनशील लगी। मुझे बहुत दुख हुआ था। ये जानते हुए भी कि मैं अपने पति के कब्र के पास बैठी हूं। उन्होंने मेरे दुख के पल में कोई संवेदनशीलता तक नहीं दिखाई। मैं उनकी इस संवेदनहीनता को समझ नहीं पाई। लोग हमें बाहर से देखकर तुंरत जज कर लेते हैं। लेकिन उन्हें ये नहीं पता होता है कि आखिर हमारी जिंदगी में क्या चल रहा है।'