
कमल हासन और श्रीविद्या के X द्वारा
Bollywood: फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए जहां कई कलाकारों को दशकों तक मेहनत करनी पड़ती है, वहीं कुछ सितारे कम उम्र में ही अपनी कड़ी मेहनत से फैंस के दिलों में छा जाते हैं। एक ऐसी ही अनोखी अभिनेत्री थीं श्रीविद्या, जिन्होंने न केवल फिल्म इंडस्ट्री में अपना नाम कमाया, बल्कि भरतनाट्यम जैसे पारंपरिक नृत्य में भी अपनी खास पहचान बनाई। श्रीविद्या का करियर 1970 के दशक में शुरू हुआ था, जब उन्होंने तमिल और मलयालम फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया था। उनकी कड़ी मेहनत और अभिनय की सफलता ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एक खास पहचान दिलाई थी। 'कुमारा संभवम', 'टाटा मानवदु', 'अपूर्व रागंगल' और 'चोट्टानिक्करा अम्मा' जैसी फिल्मों ने उन्हें एक सफल अभिनेत्री का खिताब दिया था।
बता दें कि अभिनेत्री श्रीविद्या की खूबसूरती को लेकर भी लोग मानते थे कि वह श्रीदेवी से भी अधिक हसीन थीं। 1975 में निर्देशक के. बालाचंदर की फिल्म 'अपूर्व रागंगल' के दौरान श्रीविद्या ने अभिनेता कमल हासन के साथ काम किया। यह फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई। फिल्म की शूटिंग के दौरान ही दोनों के बीच गहरी दोस्ती और प्यार भी पनप गया। श्रीविद्या इस रिश्ते को शादी तक ले जाना चाहती थीं, लेकिन कमल हासन इंडस्ट्री में कामयाब होने से पहले शादी की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते थे। कमल हासन के इस फैसले ने श्रीविद्या को भावनात्मक रूप से बहुत आहत किया और दोनों के रास्ते अलग हो गए।
इसके बाद श्रीविद्या ने निर्देशक भारतन के साथ भी अपने करियर की नई शुरुआत की, लेकिन यह रिश्ता भी ज्यादा समय तक नहीं चल सका। दोनों के बीच दूरियां बढ़ी और फिर भारतन ने अलग होने का निर्णय लिया। इसके बाद श्रीविद्या के दिल पर ये दूसरा बड़ा झटका था, लेकिन उन्होंने फिर भी प्यार में विश्वास बनाए रखा और मलयालम फिल्म टीक्कनल के को-निर्देशक जॉर्ज थॉमस से शादी कर ली। यह शादी भी ज्यादा समय तक चल पाई। जॉर्ज की आर्थिक तंगी के कारण श्रीविद्या को फिल्मों में काम करना जारी रखना पड़ा। कुछ ही महीनों बाद इस रिश्ते में दरारें आ गईं और 1980 में दोनों ने तलाक ले लिया। तलाक के लिए श्रीविद्या को अपने अधिकारों के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी, जो उन्होंने आखिरकार सुप्रीम कोर्ट में जीत ली।
श्रीविद्या ने तलाक के बाद चेन्नई को छोड़कर तिरुवनंतपुरम में शांतिपूर्ण जीवन जीने का निर्णय लिया। मगर जिंदगी हर बार उनको एक नई चुनौती दी। 2003 में उन्हें मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर का पता चला, और तीन सालों के इलाज के बाद, 19 अक्टूबर 2006 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह लिया। बता दें कि श्रीविद्या का जीवन सचमुच संघर्षों से भरा था।था।
Published on:
26 Jul 2025 02:58 pm
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