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Gadar 2: उस सिपाही की दर्दनाक कहानी, जिस पर बनी सनी की ‘गदर’, Love Story का हुआ था दर्दनाक अंत

Gadar 2: सनी देओल और अमीषा पटेल की 22 साल पहले आई फिल्म गदर एक सच्ची घटना पर बनाई गई थी। इसका आज सिक्वल गदर 2 रिलीज हो चुका है।

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गदर एक प्रेम गाथा का सिक्वल है गदर 2

Gadar 2: 'गदर' की रिलीज के 22 साल बाद, सनी देओल इसका सीक्वल 'गदर 2' लेकर हाजिर हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि तारा सिंह और सकीना की कहानी एक भूतपूर्व सैनिक बूटा सिंह और पाकिस्तानी लड़की जैनब की सच्ची लव स्टोरी से प्रेरित है लेकिन उनकी कहानी का अंत बेहद दर्द देने वाला था, जिस पर आज भी उनके गांववाले बात करने से बचते हैं।

सच्ची कहानी से प्रेरित है गदर की स्टोरी
Sunny deol's film Gadar:
भी फिल्म 'गदर' (Gadar) का गाना 'उड़ जा काले कावा' बजता है, तो सालों पुरानी खूबसूरत यादें हमें घेर लेती हैं। फिल्म के जरिये देश के बंटवारे के समय की तकलीफों को बयां किया गया है। सनी देओल और अमीषा पटेल की हिट जोड़ी करीब 22 साल बाद 'गदर 2' से तारा सिंह और सकीना के रोल में लौटे हैं। फिल्म की टिकटें तेजी से बिक रही हैं। आपको बताना चाहते हैं कि 'गदर' एक सच्ची कहानी से प्रेरणा लेकर बनाई गई थी

सनी देओल का किरदार तारा सिंह ब्रिटिश आर्मी में तैनात पूर्व सैनिक बूटा सिंह की जिंदगी से प्रेरित है जो द्वितीय विश्व युद्ध के समय बर्मा में तैनात थे। जहां उन्हें जैनब नाम की लड़की से प्यार हो गया। दोनों की लव स्टोरी भारत और पाकिस्तान में मशहूर है। बूटा सिंह पूर्वी पंजाब के लुधियाना के रहने वाले थे।

जब पहली बार बूटा सिंह और जैनब की हुई थी मुलाकात
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान, पूर्वी पंजाब के कई मुस्लिम परिवारों को मारा और खदेड़ा गया था। पाकिस्तान की तरफ जा रहे एक काफिले से एक जवान मुस्लिम लड़की जैनब को अगवा किया गया था। बूटा सिंह ने उस पाकिस्तानी लड़की को बचाया और उनके प्यार में पड़ गए। बूटा और जैनब ने शादी कर ली। उनकी दो बेटियां हुईं, जिनका नाम तनवीर और दिलवीर है।

बूटा सिंह और जैनब की लव स्टोरी में तब मोड़ आया, जब भारत-पाकिस्तान की सरकार ने एक समझौते के तहत, दोनों देशों से अगवा की गई लड़कियों को एक-दूसरे को सुपुर्द करने की कवायद शुरू की। खबरों की मानें, तो एक जांच करने वाले ग्रुप को बूटा सिंह के भतीजे ने जैनब के बारे में बता दिया। कानून के लिए, जैनब की इच्छा की कोई कीमत नहीं थी। कहा जाता है कि पूरा गांव जैनब की विदाई के समय उन्हें देखने इकट्ठा हुआ था जो अपनी छोटी बेटी का हाथ थामे घर से निकली थीं।

जैनब को बूटा सिंह पाकिस्तान लेने चले गए
जैनब पाकिस्तान के लाहौर में एक छोटे से गांव नूपुर में अपने परिवार के पास चली गईं। जैनब की जिंदगी उनके मां-बाप के निधन के बाद बिल्कुल बदल गई और उनकी बहन उनकी जायदाद की कानूनी हकदार बन गईं। जैनब के करीबी ने उन पर उनक बेटे से ब्याह करने का दबाव बनाया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बूटा सिंह को पाकिस्तान से एक लेटर आया, जिसे जैनब के पड़ोसी ने जैनब के लाख बार बोलने पर लिखकर भेजा था।



बूटा सिंह फिर दिल्ली में अधिकारियों से मिले और उनसे अपनी पत्नी और बच्चों को वापस बुलाने का अनुरोध किया। बूटा सिंह के पास जब कोई ऑप्शन नहीं बचा, तो उन्होंने इस्लाम अपना लिया। वे गैरकानूनी तरीके से पाकिस्तान में दाखिल हुए, ताकि अपनी पत्नी और बच्चों को वापस ला सकें। बूटा सिंह की तब हैरानी का ठिकाना नहीं रहा, जब जैनब के घरवालों ने उन्हें अपनाने से मना कर दिया और उन्हें पाकिस्तानी अधिकारियों के हवाले कर दिया। कहते हैं कि परिवार के दबाव में जैनब ने कोर्ट के सामने बूटा सिंह के साथ जाने से मना कर दिया और अथॉरिटी से कहा कि बेटी को बूटा सिंह के साथ भारत वापस भेज दें।

बूटा सिंह को इससे काफी दुख पहुंचा। वे बेटी के साथ पाकिस्तान के शाहदरा स्टेशन में ट्रेन के आगे कूद गए, जिसमें उनकी बेटी की जान बच गई और उनकी मौत हो गई। बूटा सिंह ने अपने आखिरी खत में अपनी प्रेमिका जैनब के गांव में उन्हें दफनाने की गुजारिश की थी, लेकिन फैमिली ने इसकी अनुमति नहीं दी। बूटा सिंह को बाद में लाहौर के मियानी साहिब में दफनाया गया। बूटा सिंह और जैनब की लव स्टोरी का अंत दर्दनाक था।