
इंदिरा गांधी को उनके मजबूत फैसलों की वजह से देश आयरन लेडी के रूप में भी जानता है। 1966 में प्रधानमंत्री बनने पर इंदिरा गांधी को उनके आलोचक गुड़िया कहकर बुलाते थे लेकिन 11 साल के अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने कठोर फैसलों से न केवल विरोधियों की बोलती बंद की बल्कि अपने मजबूत इरादों का लोहा भी मनवाया।
जब भी विवादित फिल्मों की बात की जाती है तो 1970 के दशक में बनी एक खास फिल्म का जिक्र जरूर होता है जिसे प्रधानमंत्री की तरफ से खुद बैन करवा दिया गया था। इस फिल्म का नाम है 'आंधी' जिसे इंदिरा गांधी सरकार की तरफ से बैन किया गया था। ये फिल्म बैन होने के बाद नेशनल इश्यू बन गई थी और जब बैन हटा तो ये फिल्म सुचित्रा सेन की जिंदगी की सबसे बड़ी फिल्म बन गई थी।
इस फिल्म को गुलजार ने डायरेक्ट किया था और इस फिल्म के गाने 'तेरे बिना जिंदगी से शिकवा नहीं' के फैन्स आज भी बहुत हैं। लता मंगेशकर और किशोर कुमार की आवाज़ में गाया गया ये गाना उस समय के सबसे हिट गानों में से एक था।
खैर, यहां गाने की नहीं फिल्म की बात हो रही है। इस फिल्म को इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल में रिलीज किया गया था। लोगों ने इसे खूब देखा भी और इसकी तारीफ भी बहुत हुई। आज जहां इंटरनेट सेंसरशिप और ओटीटी प्लेटफॉर्म की बात हो रही है वहां पर एक पूरी फिल्म को जब प्रधानमंत्री की तरफ से बैन करवाया गया था तब ये बात बहुत वायरल हुई थी।
इस फिल्म को गुलजार ने डायरेक्ट किया था और इस फिल्म के गाने 'तेरे बिना जिंदगी से शिकवा नहीं' के फैन्स आज भी बहुत हैं। लता मंगेशकर और किशोर कुमार की आवाज़ में गाया गया ये गाना उस समय के सबसे हिट गानों में से एक था।
खैर, यहां गाने की नहीं फिल्म की बात हो रही है। इस फिल्म को इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल में रिलीज किया गया था। लोगों ने इसे खूब देखा भी और इसकी तारीफ भी बहुत हुई। आज जहां इंटरनेट सेंसरशिप और ओटीटी प्लेटफॉर्म की बात हो रही है वहां पर एक पूरी फिल्म को जब प्रधानमंत्री की तरफ से बैन करवाया गया था तब ये बात बहुत वायरल हुई थी।
क्योंकि फिल्म में सुचित्रा सेन एक पॉलिटिशियन का किरदार निभा रही थीं और उस दौर में इंदिरा गांधी ही देश की सबसे बड़ी महिला नेता थीं तो इसे उनकी छवि को मलीन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा।
बाद में ये बात सामने आई कि ये फिल्म इंदिरा गांधी की जिंदगी पर आधारित है और इसलिए कांग्रेस पार्टी ने इस फिल्म को बैन करवा दिया। 1975 में इसके बाद इमरजेंसी भी लग गई और फिर 1977 तक ये फिल्म बैन रही थी। इस फिल्म को इलेक्शन के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन करने के लिए बैन किया गया था।
इस फिल्म की कहानी एक नेता की बेटी आरती देवी और एक होटल मैनेजर पर आधारित थी। सुचित्रा सेन और संजीव कुमार ने मुख्य किरदार निभाया था। आरती देवी एक रात पार्टी करने के कारण नशे में रहती हैं और तब संजीव कुमार जो कि एक होटल मैनेजर हैं वो उनकी मदद करते हैं। दोनों को एक दूसरे से प्यार हो जाता है।
दोनों गुपचुप शादी भी कर लेते हैं, लेकिन एक के बाद एक दोनों की जिंदगी में आपसी कलह होने लगती है। आरती देवी अपने पति और बच्चे को छोड़कर चली जाती हैं और फिर वो एक सफल नेता बन जाती हैं। कई सालों बाद जब वो वापस आती हैं तब उनकी मुलाकात वापस अपने पति से होती है और दोनों छुपकर मिलते हैं जिसकी तस्वीरें वायरल हो जाती हैं और विपक्षी दल के नेता आरती देवी की छवि को धूमिल करने की कोशिश करते हैं।
इसके बाद आरती देवी खुद एक रैली में जाकर अपना पक्ष रखती हैं और कहती हैं कि लोगों की सेवा करने के लिए उन्होंने अपने पति और बच्चे को छोड़ दिया। फिल्म के अंत में आरती देवी फिर से इलेक्शन जीत जाती हैं।
इस फिल्म में कहीं भी इंदिरा गांधी या उनके करियर का जिक्र नहीं था फिर भी फिल्म को उनकी कुर्सी और छवि पर खतरा मानते हुए कांग्रेस पार्टी ने बैन कर दिया था। इमरजेंसी के खत्म होने के बाद ही दोबारा ये फिल्म रिलीज हो पाईं। इसके बाद इंदिरा गांधी इलेक्शन हार गई थीं और जनता दल पार्टी ने इस फिल्म को दोबारा रिलीज करवाया था।
Updated on:
21 Dec 2021 09:14 pm
Published on:
12 Nov 2021 04:13 pm
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