क्रिकेटर बनना चाहते थे विशाल
बहुत कम ही लोग जानते हैं कि विशाल भारद्वाज बचपन में एक अच्छे क्रिकेटर बनना चाहते थे ना कि डायरेक्टर और राइटर। उन्होंने स्टेट लेवल पर अंडर-19 क्रिकेट भी खेली है। विशाल क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन हादसे ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी। दरअसल, एक टूर्नामेंट से ठीक पहले प्रैक्टिस सेशन के दौरान उनका अंगूठा टूट गया। जिसकी वजह से वो आगे क्रिकेट नहीं खेल सके।
17 साल की उम्र में बने म्यूजिशियन
विशाल ने 17 साल की उम्र में पहली बार एक गाने को संगीत दिया। जिसे सुनने के बाद उनके पिता ने संगीतकार उषा खन्ना से बात की। उषा खन्ना ने विशाल के संगीत को फिल्म ‘यार कसम’ (1985) में लिया। बता दें कि विशाल के पिता ने भी संगीत के क्षेत्र में काम किया है।
बतौर म्यूजिक डायरेक्टर ‘अभय’ से किया डेब्यू
विशाल भारद्वाज ने सबसे पहले साल 1985 में फिल्म ‘अभय’ में संगीत देकर अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत की। उन्हें गुलजार की फिल्म ‘माचिस’ से पहचान मिली, जिसमें उन्होंने संगीत दिया था। बच्चों की फिल्म ‘मकड़ी’ से विशाल भारद्वाज ने बतौर निर्देशक डेब्यू किया, इस फिल्म का संगीत भी उन्होंने खुद दिया था।
1999 में जीता बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का नेशनल अवॉर्ड
साल 1998 में रिलीज हुई ‘सत्या’ और 1999 में गुलजार की फिल्म ‘हू तू तू’ का संगीत भी विशाल ने दिया था। 1999 में फिल्म ‘गॉडमदर’ के लिए उन्हें बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का नेशनल अवॉर्ड दिया गया। यही नहीं उन्हें फिल्म ‘ओमकारा’ और ‘हैदर’ के लिए भी नेशनल अवॉर्ड मिल चुके हैं। विशाल भारद्वाज को अब तक अलग-अलग कैटेगरी में 7 नेशनल अवॉर्ड दिए गए हैं।