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कंगना रनौत के CAA बयान पर विशाल ददलानी ने कहा- कोई इतना अज्ञानी कैसे हो सकता है?

हाल ही में एक्ट्रेस कंगना रनौत ने भी CAA पर अपनी बात रखी थी, जिसपर अब सिंगर विशाल ददलानी (Vishal Dadlani) का रिएक्शन सामने आया है। विशाल ने कंगना के लिए कहा कि कोई इतना अज्ञानी कैसे हो सकता है?

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नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर बॉलीवुड एक्टर्स ने अपने-अपने विचार सामने रखे थे। कोई इसके पक्ष में बोलता दिखाई गया तो कोई इसके खिलाफ खड़ा था। यहां तक कि कुछ स्टार्स मुबंई में इस कानून के विरोध में हुए प्रदर्शन में हिस्सा लेने भी पहुंचे थे। हाल ही में एक्ट्रेस कंगना रनौत ने भी CAA पर अपनी बात रखी थी, जिसपर अब सिंगर विशाल ददलानी (Vishal Dadlani) का रिएक्शन सामने आया है। विशाल ने कंगना के लिए कहा कि कोई इतना अज्ञानी कैसे हो सकता है?

विशाल ददलानी (Vishal Dadlani) ने ट्वीट में लिखा- कोई चाहे कितना भी टैक्स दे या न दे। किसी को भी संपत्ति नष्ट करने का अधिकार नहीं है, चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी। न ही किसी भी अधिकारी को शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हिंसक हमले या हिरासत में रखने का अधिकार है। एक और ट्वीट में विशाल ने कहा कि- कोई इतना अज्ञानी कैसे हो सकता है। यह खुद को विशेष दिखाने जैसा है कि वह आम आदमी से कितनी बेहतर हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हर भारतीय प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स का भुगतान करता है। हर लेनदेन पर जीएसटी लगाया जाता है। अमीर आदमी को यह सोचना बंद कर देना चाहिए कि वह कितना स्पेशल है।

अब आपको बताते हैं कि कंगना रनौत ने CAA पर क्या कहा था। कंगना जब अपनी फिल्म 'पंगा' के ट्रेलर लॉन्च पर पहुंचीं तो उनसे एक पत्रकार ने CAA पर राय पूछी। इस पर कंगना ने कहा कि सबसे पहले तो जब लोग प्रदर्शन करते हैं तो उसमें हिंसा नहीं होनी चाहिए। सिर्फ 3-4 प्रतिशत लोग की टैक्स देते हैं, बाकी लोगों को उसी टैक्स के भरोसे रहना पड़ता है। लोग बसें जला देते हैं, जो 70 से 90 लाख की आती है, कोई छोटा अमाउंट तो ये है नहीं। लोग भुखमरी से मर रहे हैं। कंगना ने कहा कि कुछ लोग डेमोक्रेसी के नाम पर स्वतंत्रता से पहले के जैसे माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जब लोग हथियारों के बल पर जनता को काबू में रखते थे। तब टैक्स न देना, देश बंद करा दो कूल हुआ करता था। अब आपके नेता इटली या जापान से तो आए नहीं हैं। वे आपके बीच के ही इंसान हैं, जो छोटी जगह से उठकर अपने दम पर लीडर बने हैं। सालों से वे लीडर हैं। देश के लीडर ने अपने घोषणापत्र में जो बातें कही थीं, उसके बाद उन्हें सत्ता मिली, वही काम तो वह पूरा कर रहे हैं। अब क्या यह डेमोक्रेसी नहीं है?