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सही समय का धीरज से करें इंतजार

सबकी अपनी प्राथमिकताएं हैं। कोई ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के लिए कुछ भी कर सकता है और कोई कम कमा कर भी अपनी पसंद का काम करना चाहता है। यह आप पर है कि आप अपने काम का प्रबंधन कैसे करते हैं। अपने कॅरियर में आए उतार-चढ़ावों के बारे में बता रहे हैं अभिनेता अमित साध amit sadh-

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amit sadh

amit sadh

अपना सर्वश्रेष्ठ देना होगा
मेरी धारणा और समझ है कि जीवन कठिन है, जीवन किसी के लिए भी आसान नहीं है, लेकिन हमें हर सुबह चेहरे पर मुस्कान के साथ उठना होगा। अपना सर्वश्रेष्ठ देना होगा। फिल्मों में काम एक नौकरी की तरह है, यहां भी किसी भी अन्य नौकरी की तरह चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। मैं एक कलाकार हूं जो काम करना चाहता है, कोई मुझे यहां जबरदस्ती नहीं लाया है। मैं नकारात्मक नहीं हूं।
एक्टर तो अच्छा है पर हीरो मैटेरियल नहीं
मुझे यह स्वीकार करने में कोई शर्म नहीं है कि फिल्म 'काई पो छे' Kai Po Che के बाद भी मुझे मौके नहीं मिल रहे थे। एक घटना मुझे याद है, मैं एक बड़े प्रोड्यूसर से मिला, उन्होंने मुंह पर मेरी खूब तारीफ की और मुझे लगा कि दिन बीतते-बीतते तो मुझे फिल्म मिल ही जाएगी। हालांकि, बाद में मुझे अपने सूत्रों से पता चला कि हमारी मुलाकात के 6 घंटे बाद ही उन्होंने किसी से कहा, 'यह एक्टर तो अच्छा है पर हीरो मैटेरियल नहीं है! फिर भी मेरा उनसे या किसी से कोई पंगा नहीं है। दुनिया ऐसे ही चलती है। आपको लोगों को समझने में समय लगता है। उन्हें आप पर विश्वास करने में समय लगता है, अपेक्षित प्यार मिलने में सदियां भी बीत जाती हैं। सब कुछ सही समय पर होता है। मुझे इस बात की खुशी है कि मुझे अब यह सब मिल रहा है।
लोगों की तरफ क्यों देखें
असुरक्षा तब होती है जब आप दूसरों की तरफ देखते हैं। मुझे अपना सफर दिखता है और मैं दिनों-दिन बेहतर हुआ हूं। अतीत और बचपन में मैंने कई परेशानियां झेली हैं और कई तरह के काम किए हैं। एक दशक से ज्यादा हो गया, मुंबई आए। अकेला मुंबई आ गया था। टीवी पर काम किया। कोई एक फिल्म पाने के लिए सात साल तक संघर्ष किया, 'काई पो चे' मिली और इसके बाद भी कुछ महीने तक काम नहीं मिला। अब वह परेशानी नहीं है। मैं क्यों असुरक्षित महसूस करूं।
जो बीत गई, वह बात गई
अपने कार्यक्षेत्र में या उससे बाहर भी आपको ऐसे कई लोग मिलेंगे, जो नकारात्मक आलोचना करते हैं। मैं यह स्वीकार करने से नहीं कतराता कि मेरा अतीत परेशानियों भरा था। मैं अल्काहोलिक भी रहा हूं लेकिन उस अंधेरे चरण से बाहर आने की यात्रा में मैंने मनुष्यों को बेहतर तरीके से समझना सीखा है। मैं जजमेंटल नहीं हूं और अधिक दयालु हूं। मैंने सहानुभूति और क्षमा सीख ली। इससे मुझे इंसान के रूप में आत्मविश्वास मिला।