
कहां है पांचवा आरोपी?
बदायूं। वर्ष 2012 में देश को हिलाकर रख देने वाली निर्भया सामूहिक दुष्कर्म की घटना के मामले में चार आरोपियों (accused) को एक फरवरी को फांसी दी जाएगी। हाल ही आरोपी मुकेश की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों के लिए नया डेथ वारंट जारी किया है। लेकिन इन चारों आरोपियों को फांसी मिलने के बाद भी निर्भया को पूरा इंसाफ नहीं मिल पाएगा, क्योंकि उसका एक आरोपी अब भी इस दुनिया में खुलेआम घूम रहा है। नाबालिग होने के कारण उसे तीन साल सुधारगृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था।
बेहद तकलीफदेह स्थिति तो ये है कि सबसे ज्यादा बर्बर कृत्य करने के बावजूद आज भी दुनिया उसके नाम व चेहरे को नहीं पहचानती क्योंकि वारदात के दौरान उसकी आयु 17 वर्ष 6 महीने की थी। इस कारण उसे नाबालिग (juvenile) की श्रेणी में रखा गया था। बता दें कि Nirbhaya का नाबालिग दोषी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बदायूं का रहने वाला है। पत्रिका की विशेष रिपोर्ट में जानिए रिहा होने के बाद कहां और किस तरह की जिंदगी जी रहा है निर्भया का नाबालिग दोषी व अन्य अनसुनी बातें।
आरोपी का नाम लेना भी पसंद नहीं करते गांव वाले
हैवानियत की सारी हदों को पार करने वाले Nirbhaya के नाबालिग दोषी का गांव बदायूं जिला मुख्यालय से करीब 54 किलोमीटर दूर है। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2015 में सुधारगृह से रिहा होने के बाद वो अपने गांव आज तक नहीं पहुंचा। आरोपी का परिवार गांव में एक कच्चे मकान में रहता है। पिता कोई कामकाज नहीं करते, मां मजदूरी करके घर का गुजारा चलाती है। घटना के बाद से गांव वाले उसके नाम से भी घृणा करते हैं। उनका मानना है कि आरोपी का कृत्य किसी भी हाल में माफी के योग्य नहीं है। इसके कारण उनके गांव की बदनामी हुई है।
रिहाई के बाद NGO को सौंपा गया सुरक्षा का जिम्मा
निर्भया दुष्कर्म कांड के बाद पूरे देश में गुस्से का माहौल था। लिहाजा सुधारगृह में नाबालिग को कड़ी सुरक्षा में रखा गया था। इस दौरान उसकी मानसिक हालत को ठीक रखने के लिए एक एनजीओ ने उसे टीवी भी उपलब्ध कराया था। इस दौरान उसने सिलाई व कुकिंग का काम सीखा था। 20 दिसंबर 2015 में नाबालिग आरोपी को रिहा किया गया। रिहाई के बाद उसके सुधार और सुरक्षा का जिम्मा भी NGO को सौंपा गया।
नाम बदलकर रेस्त्रां में काम करता है आरोपी
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सुधारगृह से रिहा होने के बाद एनजीओ ने उसके परिवार की इजाजत लेकर उसे दक्षिण भारत के एक शहर में भेज दिया। उसकी सुरक्षा के लिहाज से उसका नाम भी बदल दिया गया है। अब वो नए नाम के साथ एक रेस्त्रां में काम करता है। समय समय पर उसके काम की जगह को बदल दिया जाता है ताकि उसकी पहचान न खुल सके।
11 साल की उम्र में छोड़ा था घर
बताया जाता है कि आरोपी का पिता मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है। घर में शुरुआत से ही आर्थिक तंगी है। इस कारण 11 साल की उम्र में ही वो गांव छोड़कर दिल्ली आ गया था। यहां वो फुटपाथ पर जिंदगी गुजारने के दौरान ही वो ड्राइवर रामसिंह के संपर्क में आया था। इसके बाद वो राम सिंह के लिए क्लीनर का काम करने लगा था।
2012 में छह लोगों ने दिया था घटना को अंजाम
बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को पैरामेडिकल छात्रा के साथ चलती बस में छह लोगों ने मिलकर सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था। इस दौरान छात्रा के साथ उसका दोस्त भी था। आरोपियों ने दोनों को पीट पीटकर बेहोश कर दिया था। दुष्कर्म के दौरान छात्रा के साथ बर्बरता की हदों को पार कर दिया था। उसके शरीर में लोहे की रॉड घुसा दी थी। उसके बाद दोनों को बसंत विहार इलाके में फेंक कर फरार हो गए थे।
नाबालिग ने दुष्कर्म के लिए उकसाया था
छात्रा के छह गुनाहगारों में राम सिंह, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और ये नाबालिग था। बताया जाता है कि देश को झकझोर देने वाली इस घटना का मुख्य सूत्रधार ये नाबालिग ही था। इसी ने आवाज देकर निर्भया व उसके दोस्त को बस में बुलाया था। बस में बैठने के बाद उसके साथ इसी ने छेड़छाड़ शुरू की फिर अपने साथियों को दुष्कर्म के लिए उकसाया था। नाबालिग ने ही निर्भया के शरीर में लोहे की रॉड घुसाई थी, जिसके कारण उसकी आंतों में इंफेक्शन फैल गया और उसकी मौत हो गई।
एक आरोपी ने कर ली थी खुदकुशी
निर्भया के छह गुनाहगारों में से एक राम सिंह ने जेल में ही फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी। बाकी चार आरोपी मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा व अक्षय ठाकुर को पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। एक फरवरी को सुबह छह बजे चारों आरोपियों को फांसी दी जाएगी। जबकि बर्बरता की हदें पार करने वाला नाबालिग आरोपी तीन साल सुधारगृह में रहने के बाद अब ताउम्र खुलेआम घूमकर अपनी जिंदगी जिएगा।
Updated on:
20 Jan 2020 01:15 pm
Published on:
20 Jan 2020 11:58 am
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