
नई दिल्ली. मोदी सरकार के पांचवें बजट की तैयारी कर रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली वर्ष 2018-19 के बजट में करदाताओं को बड़ी राहत देते हुये आयकर स्लैब में बदलाव करने के साथ ही सीमा शुल्क में छूट देकर आयातित वस्तुओं पर लगने वाले कर को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अनुरूप कर सकते हैं। अगले वर्ष आम चुनाव होना है और इससे पहले यह मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट है। अगले वर्ष सरकार अंतरिम बजट ही पेश कर सकेगी। इसलिए, उसके पास वेतनभोगियों के साथ ही व्यक्तिगत करदाताओं को खुश करने का यह अंतिम मौका है। इसके मद्देनजर जेटली आयकर स्लैब में बदलाव कर करदाताओं, विशेषकर वेतनभागियों को बड़ी राहत दे सकते हैं। चुनाव जीतने के बाद से अब तक इस सरकार ने कर स्लैब में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है।
तीन लाख हो सकती है आयकर छूट की सीमा
अभी आयकर में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये है जिससे बढ़ाकर तीन से साढ़े तीन लाख रुपये किया जा सकता है। इसमें करीब साढ़े चार लाख करदाता है। इसके साथ ही पांच प्रतिशत कर के दायरे में 10 लाख तक की आय आ सकती है। अभी पांच लाख रुपये से अधिक की आय पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी कर देना पड़ता है। श्री जेटली 10 लाख रुपये से अधिक की आय वर्ग के करदाताओं को भी बड़ी राहत दे सकते हैं और 25 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी का प्रावधान कर सकते हैं।
2 लाख 80सी के तहत छूट बढ़कर
इसके साथ ही सरकार आयकर कानून की धारा 80सी के तहत निवेश की सीमा को डेढ़ लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये कर सकती है ताकि व्यक्तिगत करदाताओं को वार्षिक ढाई हजार रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक की बचत होगी। विश्लेषकों का कहना है कि इसी तरह से सरकार कार्पोरेट कर को 25 फीसदी से कम कर सकती है क्योंकि कर में दी गयी छूटों को सरकार तर्कसंगत बना रही है। इसी तरह से न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) भी 18.5 प्रतिशत से कम कर 15 प्रतिशत किया जा सकता है। सरकार ऐसे कर प्रावधानों पर भी ध्यान दे सकती है जिससे स्टार्टअप इंडिया और कर पुनर्गठन पर मैट जैसे प्रावधानों से पड़ रहे प्रभावों से राहत मिल सके।
सीमा शुल्क में हो सकता है बदलाव
देश में जीएसटी लागू किये जाने के बाद यह पहला बजट है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इसके मद्देनजर वर्ष 2018 में अप्रत्यक्ष कर में होने वाले बदलाव को भी लेकर लोगों में उत्सुकता है। हालांकि, सरकार के पास अब अप्रत्यक्ष कर में बदलाव का अधिकार नहीं है। यह काम जीएसटी परिषद करती है लेकिन, सरकार सीमा शुल्क दर में बदलाव कर सकती है और सीमा शुल्क कानून को जीएसटी के अनुरूप बना सकती है। ऐसी संभावना है कि जीएसटी से जुड़े कुछ कानूनों में सरकार संशोधन पर विचार कर रही है, हालाँकि इन्हें बजट में शामिल किये जाने से पहले जीएसटी परिषद की अनुमति लेनी होगी। इसके अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर, रियलटी आदि क्षेत्रों से जुड़ी कुछ नीतिगत घोषणायें बजट में की जा सकती है और इसका असर अप्रत्यक्ष कर भी पड़ सकता है। उनका कहना है कि सरकार सेवा क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे सकती है क्योंकि इस क्षेत्र में सुधार दिख रहा है।
डिजिटल अर्थव्यवस्था को मिल सकता है बूस्ट
बजट में डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति देने के भी उपाय किये जा सकते हैं। आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए विनिर्माण में तेजी लाने पर भी सरकार जोर दे सकती है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ ही रोजगार प्रदान करने वाले बड़े क्षेत्र भी हैं। विश्लेषकों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों पर भी सरकार को विशेष ध्यान देगा होगा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आर्थिक गतिविधियों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ी भूमिका में देख रहे हैं। इसके लिए सरकार कृषि क्षेत्र के लिए कुछ बड़ी घोषणा कर सकती है। वह वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की महत्वकांक्षी योजना पर काम कर रही है। इसके लिए आपूर्ति से जुड़ी बाधाएँ दूर की जा सकती हैं। मनरेगा जैसे कार्यक्रमों के लिए अधिक राशि आवंटित की जा सकती है। कृषि बीमा और ङ्क्षसचाई कार्यों तथा सामाजिक सुरक्षा उपायों के लिए अधिक राशि दी जा सकती है।
Published on:
28 Jan 2018 05:39 pm
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