
नई दिल्ली. भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) के मुताबिक आगामी आम बजट से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार अपने एजेंडे में ग्रामीण भारत को विकास की कमान सौंपना चाहती है। औद्योगिक संगठन के मुताबिक आगामी बजट 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की प्रक्रिया को शुरू करेगा। प्रधानमंत्री ने किसानों की आय बढाने के संबंध में प्रतिबद्धता जाहिर की थी और बजट में यह प्रतिबद्धता दिखेगी। एसोचैम का कहना है कि कच्चे तेल की आसमान छूती कीमत और वस्तु एवं सेवा कर संग्रह को लेकर जारी अनिश्चितता के कारण मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट संभवत: ग्रामीण क्षेत्रों पर ही ज्यादा जोर देने वाला होगा।
ग्रामीण इलकों को बजट में मिलेगा तवज्जो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आगामी बजट को लेकर पर्याप्त संकेत दिए हैं। वे विकास एजेंडे में ग्रामीण इलाकों को तवज्जो देना चाहते हैं और हम इसी कारण किसानों की बाजार तक पहुंच आसान बनाने , ङ्क्षसचाई प्रबंधन, ग्रामीण आवास,ग्रामीण सड़कें और वित्तीय समावेश को बढाने की दिशा में पहल किये जाने की उम्मीद कर सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में जहां कई क्षेत्रों और लोगों की अलग-अलग जरुरतों का दबाव सार्वजनिक संसाधनों पर हैं और जीएसटी से राजस्व प्राप्ति की तस्वीर अभी स्पष्ट नहीं है, वहां उम्मीदों को वास्तविकता की धरातल पर रखना होगा।
संगठन का कहना है कि इस बार बजट में भारतीय उद्योगों के लिए कोई बड़ी घोषणा संभवत: न हो जबकि मध्यम आय वर्ग के करदाता को हल्की राहत मिले लेकिन यह बजट कोई ब्लॉक बस्टर नहीं होगा।
आधारभूत ढांचे और राजमार्गों में निवेश को बढाया जाएगा
संगठन के अनुसार अगले कुछ दिनों में जारी किया जाने वाला आम बजट शेयर बाजार की रिकॉर्ड तेजी का लाभ उठाकर किये गये पीएसयू इक्विटी के विनिवेश और घरेलू निवेशकों द्वारा मयुच्युअल फंड के माध्यम से और विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा इक्विटी में किये गये निवेश पर अधिक निर्भर करेगा। विनिवेश का लक्ष्य एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है। एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा कि वास्तव में विनिवेश वित्त् वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में करना रणनीतिक रहेगा।
इसके अलावा आधारभूत ढांचे, रेलवे और राजमार्गों में निवेश को बढाया जायेगा। इन दोनों की सूरतों में कर रहित बांड जारी करके, लाभ कमाने वाली कुछ रेलवे इकाइयों में विनिवेश और बाजार से उधारी लेकर सरकार संसाधनों को जुटायेगी। इसी तरह की प्रक्रिया राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के लिए भी अपनायी जा सकती है। इसीलिए, रेलवे, बंदरगाहों और सड़क को लेकर भले ही कई निवेश योजनाओं हों लेकिन इनका बोझ वित्त मंत्री पर नहीं पड़ेगा।
Published on:
28 Jan 2018 05:27 pm
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