
बुलंदशहर. जिला कारागार बुलंदशहर की रंगत इस समय बदली-बदली सी है। जेल की चाहरदीवारी के भीतर का नजारा किसी मुगल गार्डन से कम नहीं है। जेल के भीतर जाने पर ऐसा एहसास होता है जैसे किसी कश्मीर के बगीचे में पहुंच गए हों। जेल के भीतर लगे फूलों की खुशबू से जब सुबह-शाम फिजा में महक फैलती है तो कर्मचारियों के साथ ही जेल के भीतर बंद बंदी भी मदहोश हो जाते हैं। उन्हें जेल के भीतर प्राकृति का जो आनंद मिल रहा है यह सब संभव हो पाया है जेल अधीक्षक मिजाजी लाल के प्रयासों से।
उनके आने के बाद जिला जेल के अंदर की सफाई और छटा बिखेर रही हरियाली कुछ अलग ही नजारा पेश करती है। जिला जेल में बंदियों की मेहनत से तैयार लॉन और पैदल मार्ग की खूबसूरती देख ऐसा लगता है जैसे किसी बगीचे या गार्डन की सैर कर रहे हो। बंदियों की मेहनत से जेल के अंदर साफ-सफाई को देखकर जेल प्रशासन भी गदगद नजर आ रहा है।
लॉन और फूल-पौधे बया कर रहे बंदियों की मेहनत की कहानी
किसी भी बाग में चारों तरफ फैली मखमली घास इस बात का अहसास खुद ब खुद करा देती है। इसी तरह पैदल मार्ग पर दोनों तरफ पौधों की सुंदरता आपको किसी बगीचे में होने का अहसास कराएगी। जेल परिसर में आजकल कुछ इसी तरह का माहौल है। जेल के अंदर करीब 180 बंदी दिन-रात खेती-क्यारी का कार्य करते हुए लॉन, बागवानी, क्यारियां आदि तैयार कर रहे हैं। अन्य बंदी भी साफ-सफाई में पूरा योगदान करते हैं।
जेल अधीक्षक मिजाजी लाल बताते हैं कि जेल के खाली स्थान को खूबसूरत बनाने का जिम्मा खेतीबाड़ी में माहिर बंदियों को सौंपा गया। बंदियों भी मिली इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। जेल के तीसरे गेट के अंदर लॉन की सुंदरता देखते ही बनती है। लॉन में मखमली घास रोपी गई है। इसी प्रकार लॉन के चारों तरफ गुलदावदी, गुलाब आदि फूलों के पौधे लगाए गए हैं। इन पौधों को आकर्षक तरीके से छांटा भी गया है।
उन्होंने बताया कि जेल में बच्चा बैरक और महिला बैरक के बराबर में दो लॉन तैयार किए गए हैं। इन लॉन में महिला बंदियों के बच्चे खेलते-कूदते हैं। जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने बताया कि बंदियों की मेहनत पर उन्हें गर्व है।
BY: KP Tripathi
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Updated on:
24 Sept 2021 11:38 am
Published on:
24 Sept 2021 11:36 am
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