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Electricity Smart Meters: बिजली के स्मार्ट मीटरों में ढेरों खामियां, बिजली बिलों में आई गड़बड़ी तो मचा हड़कंप; जिम्मेदार चुप

UPPCL News: पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड सहित पूरे यूपी में बिजली के स्मार्ट मीटरों में ढेरों खामियां आ रही हैं। इससे पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है।

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यूपी में लगे स्मार्ट मीटरों की खामियों से उपभोक्ता परेशान।

UPPCL News: उत्तर प्रदेश में लगे स्मार्ट मीटरों में ढेरों खामियां मिल रही हैं। इसके चलते उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में गड़बड़ियां आ रही हैं। इससे पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया है। बिजली बिलों में आ रही गड़बड़ियों को लेकर कोई भी जिम्मेदार बोलने को तैयार नहीं है।

बता दें यूपी में करीब 12 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं। करीब 2.5 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया अभी चालू है। इससे पहले ही बिजली मीटरों की गड़बड़ियां शुरू हो गई है। इसको लेकर बिजली उपभोक्ताओं में रोष है। परेशान बिजली उपभोक्ता बिजली आफिसों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनने को तैयार नहीं है। जिनका बिजली का बिल कभी हजार रुपए के भीतर आता था उनको 4000 से 5000 रुपए तक बिजली का बिल भरना पड़ रहा है।

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की जांच रिपोर्ट में खुलासा
यूपी में लगे स्मार्ट मीटर कारगर नहीं है। स्मार्ट मीटर जिस उद्देश्य से लगाए गए थे। ये स्मार्ट मीटर उसे पूरा नहीं कर रहे हैं। स्मार्ट मीटर में कहीं बिलिंग में गड़बड़ी हो रही है तो कहीं उपभोक्ताओं को मैसेज तक नहीं मिल रहे हैं। यह खुलासा हुआ है केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की एक जांच रिपोर्ट में। मंत्रालय ने ऊर्जा विभाग को भेजी जांच रिपोर्ट में व्यवस्था में सुधार करने के लिए निर्देश दिए हैं। इससे विद्युत वितरण निगमों में हड़कंप मचा है।

यूपी में करीब 12 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं। करीब 2.5 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने का काम चल रहा है। बिजली मीटरों की गड़बड़ियों को लेकर पिछले महीने ऊर्जा मंत्रालय की टीम उत्तर प्रदेश आई थी। टीम ने प्रदेश के विद्युत वितरण निगम के अलग-अलग इलाके में जाकर जांच की थी। मंत्रालय की ओर से 25 सितंबर को पावर कॉरपोरेशन को रिपोर्ट भेजी गई।

UP पावर कॉरपोरेशन के अफसर चुप्पी साधे
रिपोर्ट में अब तक लगे स्मार्ट मीटर की उपयोगिता पर सवाल खड़े हो गए हैं। जिसमें कहा जा रहा है कि जिस उद्देश्य के साथ स्मार्ट मीटरों को लगाया था, वो पूरी तरह से फेल हैं। बिलिंग सॉफ्टवेयर को सही तरीके से चलाने के लिए एमडीएम का इंटीग्रेशन बाधित है। जिसके कारण जनरेशन ऑफ बिल और बकाया पर कनेक्शन काटने और जोड़ने में समस्या आ रही है। नया बिलिंग सॉफ्टवेयर आने के बाद पिछले 6 माह से स्मार्ट मीटर मैनुअली काम कर रहा है।

भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाए चेक मीटर और मुख्य मीटर का मिलान नहीं किया जा रहा है। उनके मोबाइल ऐप काम नहीं कर रहे। नेटवर्क में समस्या आ रही है। भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय ने इस बात पर आपत्ति उठाई कि भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत 6 महीने तक स्मार्ट मीटर में अधिक भार होने पर पेनल्टी नहीं ली जाएगी। इसके बाद भी पेनल्टी चार्ज की गई है। इस रिपोर्ट के आने के बाद शक्ति भवन से लेकर विद्युत वितरण कंपनियों में हड़कंप मच गया है। निगमों में सभी विद्युत उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की तैयारी चल रही है। ऐसे में पावर कॉरपोरेशन के अफसर चुप्पी साधे हैं।

छह माह से नहीं मिली alarm alert सुविधा
भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय ने रिपोर्ट में कहा है कि स्मार्ट मीटर को बकाए पर खुद कनेक्शन काट देना चाहिए, लेकिन जुलाई 2023 और अगस्त 2023 के आंकडे बताते हैं कि 22507 उपभोक्ता स्मार्ट मीटर वाले चिन्हित किए गए। जिन पर बकाया था। इसके बाद भी सिर्फ 18499 उपभोक्ता के कनेक्शन कटे गए हैं। जबकि 4008 उपभोक्ताओं के कनेक्शन नहीं कटे गए हैं। स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ताओं का बैलेंस 70 प्रतिशत, 80 प्रतिशत और 90 प्रतिशत बाकी रहता है तो उन्हें अलार्म अलर्ट मिलना चाहिए। लेकिन पिछले छह महीने से ये सुविधा नहीं मिल रही है।

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companies के खिलाफ हो कार्रवाई- वर्मा
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मांग की है कि ये एक गंभीर लापरवाही है। इससे उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी कर स्मार्ट मीटर लगाने वाली एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड, स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनी व LNT के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए और इन कंपनियों को काली सूची में डाल देना चाहिए।