
GST से बदहाल पॉटरी उद्यमियों ने कही ऐसी बात, सुनकर हिल जाएगी मोदी सरकार
बुलंदशहर. केंद्र सरकार के चार साल पूरे हो चुके हैं। अपनी इस उपलब्धि को मोदी सरकार 4 साल बेमिसाल कहकर चार साल का कार्यकाल पूरा करने पर जश्न मना रही है। लेकिन, देश-विदेश में पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर बुलंदशहर जनपद के खुर्जा से अब धीरे-धीरे पॉटरी उद्योग दम तोड़ने लगा है। यहां के पॉटरी उद्यमियों का आरोप है कि मोदी सरकार ने अपने चार साल के इस कार्यकाल में उनके लिए कुछ भी नहीं किया। जबकि सरकार के जीएसटी जैसे बड़े कदम उठाने की वजह से 25% उद्यमी पॉटरी उद्योग छोड़ चुके हैं। पॉटरी उद्यमियों के मुताबिक पहले नोटबंदी और इसके बाद जीएसटी लागू होने से खुर्जा का पॉटरी उद्योग धीरे-धीरे बन्द होने के कगार पर पहुंच गया है। पॉटरी उद्यमियों के मुताबिक खुर्जा में 25% पॉटरी उद्यमी पॉटरी उद्योग बन्द कर चुके हैं। इन लोगों का कहना है कि मोदी सरकार ने अपने चाल साल के कार्यकाल में पॉटरी उद्योग को कभी कोई राहत या मदद नहीं पहुंचाई। हालात ये हैं कि मोदी सरकार के चार साल के बजट में कभी भी पॉटरी उद्योग का जिक्र तक नहीं किया गया।
आपको बता दें कि खुर्जा में पॉटरी उद्योग लगभग 600 साल पुराना बताया जाता है। पॉटरी उद्योग में विशेषज्ञता की वजह से खुर्जा देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपनी एक विशेष पहचान रखता है। दिल्ली से महज 90 किमी की दूरी पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जिले के खुर्जा शहर में स्थित पाॅटरियों में चीनी-मिट्टी के बर्तन और सजावटी वस्तुएं, बिजली के फ्यूज सर्किट, इन्सुलेटर, प्रयोगशाला के उपकरण, हवाई जहाज, टरबाइन, राॅकेट, न्यूक्लियर फ्यूजन, अंतरिक्ष तकनीक सहित दुनिया की सबसे तेज दौड़ने वाली कारों में इस्तेमाल होने वाले कई कलपुर्जे भी बनाये जाते हैं। लेकिन 600 साल पुराना बताया जाने वाला पॉटरी उद्योग सरकारी अनदेखी और उपेक्षा की वजह से बन्द होने के कगार पर है।
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पिछले कुछ वर्षों में पॉटरी उद्योग में आई तेज़ी से गिरावट की सबसे ज्यादा मार इन पॉटरी उद्योगों में काम करने वाले हजारों मजदूरों के परिवार पर पड़ी है। धीरे-धीरे बंद होते पॉटरी उद्योगों की वजह से यहां काम करने वाले मजदूरों पर हर समय दो जून की रोटी का संकट मंडराता नज़र आता है। इन पॉटरी उद्योगों में अपने हाथ की कला से देश विदेश में जादू बिखेर चुके कारीगर और मजदूरों की माने तो उद्यमी उन्हें उनकी मज़दूरी का समय से पैसा नहीं दे पाते हैं और इसके अलावा ये लोग कुछ और करना भी नहीं जानते हैं, जिसके चलते आज इन लोगों को दो जून की रोटी जुटाने के लिए कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
बाहर राज्यों से यहां मज़दूरी करने आए कुछ ठेकेदार और मजदूरों का तो यहां तक दावा है कि जो दिहाड़ी उन्हें 4 साल पहले मिलती थी। आज भी वो उतनी ही दिहाड़ी में गुजारा कर रहे हैं, क्योंकि पॉटरी संचालक अब इन लोगों से इससे ज़्यादा दिहाड़ी पर काम कराने को तैयार नहीं हैं, इन लोगों का यहां तक कहना है कि इससे पहले की सरकारों के कार्यकाल में पॉटरी उद्योग का इतना बुरा हाल नहीं था, पहले पॉटरी उद्यमी इन्हें समय पर पैसा दे दिया करते थे लेकिन, अब ऐसा नहीं हो पा रहा है।
Published on:
09 Jun 2018 11:59 am
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